पहलवान ताकत के लिए खाते हैं यह जड़ी बूटियां, आप भी खाएंगे तो बन जाएंगे फौलादी

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निखिल त्यागी / सहारनपुरःसहारनपुर के फुलवारी आश्रम में चल रहे सबसे पुराने अखाड़े में तैयारी कर रहे पहलवान बाजार में मिलने वाले पॉउडर व अन्य पदार्थो का खाने में प्रयोग नही करते हैं. बल्कि दो सौ वर्ष पुराने अखाड़े से दांव पेंच सीखने वाले युवा देसी जड़ी बूटियां व ड्राई फ्रूट्स का खाने में प्रयोग करते हैं. यही कारण है कि देसी चीज़ों को खाने वाले पहवालनों की सेहत जिम में एक्सरसाइज करने वाले व फिटनेस बनाने के लिए बाजार के पॉउडर खाने वाले युवकों से अलग होती है. अखाड़े के पहलवान अधिकतर जड़ी बूटियां व अन्य चीज़ों को सिल बट्टे पर पीसकर तैयार करते हैं और खाने में प्रयोग करते हैं.

सहारनपुर के फुलवारी आश्रम में करीब 200 वर्ष पुराना अखाड़ा चल रहा है. आज भी इस अखाड़े में पहलवान कुश्ती के दांव पेंच सीखकर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं. 20 दशकों से अपनी पहचान बनाने वाले फुलवारी आश्रम के इस अखाड़े में पहलवानी करने वाले विक्की पालीवाल ने बताया कि अखाड़े की स्थापना के समय से ही यहां पर रुस्तमें हिंद नाम से एक पुरस्कार बना था. यह अखाड़ा पारम्परिक रूप में आज भी पहलवानों के लिए अस्तित्व में है. कुश्ती में जीत हासिल कर अखाड़े का नाम रोशन करने वाले पहलवान को इस पुरस्कार से नवाजा जाता है.

जगदीश गुरुजी ने जीता था अंग्रेजी हुकूमत में रुस्तमे हिन्द
पहलवान विक्की पालीवाल ने बताया कि वह करीब 16 वर्षों से इस अखाड़े में कुश्ती के दाव पेंच सीख रहे हैं. उन्होंने बताया कि सबसे पहले पुराने समय में यहां पर पहलवानी करने वाले जगदीश गुरु जी थे. जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत में इस अखाड़े की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनाई थी और उन्होंने रुस्तमें हिंद पुरस्कार हासिल किया था. दो बार राष्ट्रीय स्तर कुश्ती प्रतियोगिता में प्रतिभागी रहे विक्की पालीवाल ने बताया कि मैंने जसवंत गुरु जी के सानिध्य में यहां पर पहलवानी करना शुरू किया और आज भी इस अखाड़े में सैकड़ो युवा जसवंत गुरु जी के सानिध्य में ही कुश्ती के दांव पेज सीख रहे हैं.

खाने में प्रयोग होते हैं देसी व्यंजन
विक्की पालीवाल ने कहा कि पहलवानी का मूल मंत्र आचार, विचार और व्यवहार होता है. साथ ही खाने में प्रयोग होने वाली चीजों का भी अपना महत्व होता है. उन्होंने बताया कि फुलवारी आश्रम में पहलवानी करने वाला व्यक्ति बाजार के पाउडर आदि उत्पाद खाने में प्रयोग नही करते. विक्की पालीवाल ने बताया कि पहलवान के लिए सर्दी के मौसम में बादाम, किशमिश, मगज, गुलाब पत्ती व हल्दी आदि को दूध से तैयार ठंडाई में मिलाकर लेते हैं. उन्होंने बताया कि इस सभी ड्राई फ्रूट्स को सिल-बट्टे पर पीसकर तैयार किया जाता है. जिससे इसकी गुणवत्ता पहलवान की सेहत के लिए बहुत अच्छी होती है.

Tags: Health benefit, Hindi news, Local18, UP news

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