नई दिल्ली. आप जानते ही होंगे कि हैकर्स हैकिंग करते हैं और ये एक गलत प्रैक्टिस है. लेकिन, इससे मिलता-जुलता शब्द है एथिकल हैकिंग. लेकिन, इसे गलत प्रैक्टिस नहीं माना जाता है. ऐसे में कई लोगों के मन में ये सवाल जरूर आता होगा कि आखिर दोनों में क्या अंतर होता है. कैसे एक दूसरे से अलग होते हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि हैकिंग और एथिकल हैकिंग क्या होता है.
दरअसल हैकिंग और एथिकल हैकिंग में उनके इरादे और लीगल होने का फर्क होता है. हैकिंग एक प्रैक्टिस है जहां किसी गलत मंशा से कम्प्यूटर सिस्टम या नेटवर्क को अनऑथोराइज्ड तरीके से एक्सेस किया जाता है. इसमें डेटा चोरी किया जाता है या सिस्टम को नष्ट भी कर दिया जाता है. हैकिंग ग़ैरक़ानूनी, है और इसके लिए सजा का प्रावधान है. हैकिंग में हैकर्स किसी सिस्टम के वीकनेस को आइडेंटिफाई करते हैं और इसका फायदा उठाकर सिस्टम में एंट्री लेते हैं और अपने फायदे के लिए गलत काम को अंजाम देते हैं.
अब समझें क्या है एथिकल हैकिंग:
एथिकल हैकिंग में किसी नेटवर्क या कम्प्यूटर सिस्टम के किसी खराबी को ठीक करने के लिए इसे लीगल तौर पर एक्सेस किया जाता है. एथिकल हैकिंग को वाइट हैट हैकिंग भी कहा जाता है. एथिकल हैकिंग का उद्देश्य सिस्टम को प्रोटेक्ट करना और अनऑथोराज्ड एक्सेस को रोकना भी है. एथिकल हैकर्स ऑर्गेनाइजेशन्स को उनके सिस्टम और डेटा को रियल थ्रेट्स से बचाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
मिलती है ये नौकरियां:
एथिकल हैकिंग के लिए कोर्सेस भी मौजूद हैं. इस कोर्स को कर कैंडिडेट्स को फॉरेंसिक इन्वेस्टिगेटर, सिक्योरिटी इन्वेस्टिगेटर, नेटवर्क सिक्योरिटी सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर/मैनेजर, वेब सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेटर और एप्लिकेशन सिक्योरिटी एग्जीक्यूटिव के तौर पर जॉब भी कर सकते हैं. upGrad के मुताबिक, भारत में एथिकल हैकर्स की सैलरी रेंज सालाना आधार पर 1.77 लाख रुपये से लेकर 40 लाख रुपये तक है.
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FIRST PUBLISHED : December 30, 2023, 16:52 IST