Hindi Poetry : माला फेरने से न ईश्वर मिलते हैं न रोटी- शरद आलोक

Picture of Gypsy News

Gypsy News

10 फरवरी 1954 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे सुरेशचन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ 1980 से ओस्लो, नार्वे में रहते हैं. लेकिन देश के लिए न तो उनका प्रेम खत्म हुआ और न ही इनकी कलम से स्याही. विदेश में रहते हुए भी शरद आलोक की कविताओं में भारत देश महकता है, यहां का मौसम महकता है, यहां पंछी यहां की नदियां महकती हैं… दूर परदेस में बैठे हुए भी उनकी कविताएं देश की तकलीफों और परेशानियों पर निडर होकर अपना दर्द बयां करती हैं.

शरद आलोक विदेश में रहते हुए हिंदी लेखकों में प्रमुख स्थान रखते हैं. उनका कव्य-संग्रह ‘लॉकडाउन’ ख़ासा चर्चित रहा है. वह नार्वे में रहते हुए पिछले 43 वर्षों से ‘स्पाइल-दर्पण’ और ‘वैश्विका’ का संपादन कर रहे हैं. उनकी रचनाओं से विदेशों में लिखे जा रहे हिंदी साहित्य को एक नया आयाम मिला है.

सर्वप्रिय प्रकाशन द्वारा प्रकाशित उनका उपन्यास ‘मिट्टी के देवता’ दुनिया भर के किसानों के संघर्षों को समर्पित है. संग्रह की सभी कविताओं में भारत देश के प्रति उनका प्रेम फूटकर बाहर निकलता है. प्रस्तुत हैं शरद आलोक के काव्य-संग्रह ‘मिट्टी के देवता’ से चुनिंदा कविताएं-

1)
कविता में जीवन
अपराधी भी अलबत्ता तिलचट्टा होता है
हट्टा खट्टा, मुसटंडा जो गुंडा होता है
जो ठोकर दे जाए उसको एक सबक
उस कविता (ठोकर) का असली मतलब होता है

पापी के भीतर जो पैदा कर दे पुण्यांकन
घास-फूस में किसान जब उत्पन्न करे फसलें
आलसी, हाथ पर हाथ धरे, खड़ी प्रौढ़ नस्लें
उन्हें जगाये उस कविता में जीवन होता है.

2)
कोयल की हूक
कितना दर्द लिए थी
पेड़ पर कोयल की हूक
धुआं-धुआं हो
कैरोसीन तेल डालकर
जब शासन ने दी गांव की लड़की फूंक

दलित कुंआरी
बलात्कार में मारी गयी;
मर कर भी अपनी देहरी
ना पायी चूम

हाहाकार मचा दुनिया में,
कैसा राष्ट्र धर्म आंगन में
पशु-पंछी का शोर
ये कौन मचाये धूम?
लोकतंत्र में प्रजा अपाहिज
गांधी बाबा की भूमि?

3)
चांद पीछा न कर
वतन है बहुत दूर
चांद पीछा न कर
कैसे हुए मजबूर
चांद पीछा न कर
पूरनमासी में क्यों उपजा गुरूर,
चांद पीछा न कर

चांदनी की क्या है मिसाल,
चकोर करते धमाल
मुखड़े से शुरू हो मीत
अंतरे में खो रहे गीत.

4)
माला फेरने से न ईश्वर मिलते हैं न रोटी
आप किसी से बात करते समय
किस बात पर जोर देते हैं
क्या वजन में या भाव में?

जब कोई नजर-अंदाज करता है
अर्थ का अनर्थ निकल जाता है
जब मंच से या बैठक में
वह जोर आवाज में कहता है
बड़े आत्मविश्वास से,
कि आप सब सहमत हैं

असहमति का विद्रोह
कब तक मौन बैठेगा
अब तो माला फेरने से
न ईश्वर मिलते हैं न रोटी
न ही हक मिल रहा है
न ही इलाज

मेरी कविता असहमति से उपजी
जिसे अस्वीकार करने की
कोई गुंजाइश नहीं
मिनी और लघुकथा
के विवाद में न पड़
आज जब नारे बन रही है कविता
चारो तरफ अभाव में पूर्ति करती दिखती है कविता

भूख सबको लगती है,
फिर भी किसान उपेक्षित है
आत्महत्या का सिलसिला क्यों जारी है
हताशा और अभाव में क्यों करते हैं
राजनीतिक भेदभाव

अपने पैरों तले खिसकती जमीन
बेचैन कर देती है और सोचने पर विवश
डंडे के जोर पर गाय नहीं देती दूध
उसे चारा और सेवा चाहिए.

5)
मेरे आंगन में, कुछ बीज नये बो जाना
जो छूटा दर था मेरा
फिर उसने नहीं बुलाया
छू छू कर उस माटी को
मस्तक में उसे लगाया

जो समय सदा मेरा था,
इतिहास बना जाता है
आशा के घन केशों सा
बिन बरसे ही जाता है

जो छिपी हुई गाथाएं
मन के अंतस्थल में
प्रमाण कहां दूं उनको,
जो है कोरे कागज में..
पथ में, विश्राम गृहों में
कुछ राही मिल जाते हैं
वे बिछड़ भले जाते हों
यादों में रह जाते हैं

तुमको आमंत्रण मेरा
कुछ पल साथ बिताना
तुम मेरे मन आंगन में
कुछ बीज नये बो जाना

सुई-धागे में पिरोया
मैं ऐसा हार नहीं हूं
जो बीच राह में छोड़े
मैं ऐसा साथ नहीं हूं
जो कहकर नहीं निभाते

तुम उनका साथ न करना
जिनको मिथ्या में जीना
उनको धोखे में रहना
जो बार-बार घीसू से
आंसू हैं सदा बहाते
तब भाग्य रूठता उनसे,
मिल जाते भीख मांगते

जिनका घरबार नहीं है
उनके दिल में कोठी है
सोने वाले भूखे हैं
मेरे घर में रोटी है

जो स्वांग सदा रचते हैं
तुम उन पर न खो जाना
हरसिंगार के फूलों सा
महकना और महकाना
संदर्भ नये गढ़ने को
हम साथ छोड़ जाते हैं
पानी-सा लिखा मिटाकर
रेत अंजुरी में लाते हैं

हिम गल-गलकर बन जाता
अनगिनत प्रेम लघु नदियां
जो बीज दबे धरती में
अंकुर सी निकली कलियां.

6)
लखनऊ, जहां की माटी चंदन है
लखनऊ की बात ही और है
जहां भाषाई अदबी का शऊर है
चाय-पान वाले को भी
अपनी तहजीब पर गुरूर है
हिंदी-उर्दू-अवधी का संगम है
जहां प्रेम में लुटने का नहीं गम है
हंसने-मुस्कराने का मौसम है
बचपन की देहरी, घर, आंगन है
जहां की माटी चंदन है.

Tags: Book, Hindi Literature, Hindi poetry, Hindi Writer, Poem

Source link

और भी

Leave a Comment

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स