Mirgi ka dora: मिर्गी की बीमारी आमतौर पर जन्मजात होती है या फिर किसी बड़े हादसे के बाद इस बीमारी की शुरुआत होती है. यह ऐसी बीमारी है जिसमें मरीज को अचानक दौरा पड़ता है. यह एक क्रॉनिकल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है जिसमें मस्तिष्क सामान्य तरीके से काम नहीं करता है. ये दौरे थोड़ी सी देर के लिए पड़ते हैं लेकिन इसमें दिमाग का शरीर पर से कंट्रोल हट जाता है और मरीज की हालत अजीब हो जाती है, जिसकी वजह से मरीजों को दवाई खाते रहने के बाद भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
हाल ही में दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज ने दुनिया की पहली स्टडी की है जिसमें मिर्गी के मरीजों की इन समस्याओं और उसके समाधान पर रिसर्च की गई है. यह रिसर्च इसलिए भी खास है कि इसमें मिर्गी के दौरों पर योग के बेहतरीन असर की बात कही गई है. रिसर्च बताती है कि योग की तीन क्रियाओं सूक्ष्म व्यायाम, प्राणायाम और ध्यान की वजह से मिर्गी के मरीज सामान्य जीवन जीने में सफल हो सकते हैं.
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की एचओडी प्रोफेसर मंजरी त्रिपाठी और डॉ. किरनदीप कौर की ओर से 160 मरीजों पर रिसर्च की गई है. इस बारे में डॉ. मंजरी कहती हैं कि मिर्गी के मरीजों को जीवनभर दवा खानी पड़ती है, हालांकि दवा खाते हुए भी कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो इन मरीजों को होती हैं. खास बात है कि इन समस्याओं पर अभी तो दुनियाभर में कोई शोध नहीं हुआ था. एम्स ने पहली बार ऐसा किया है.
डॉ. मंजरी बताती हैं कि मिर्गी के मरीजों की प्रमुख समस्या है स्टिग्मा की. देखा गया है कि मिर्गी का मरीज अपने आपको दूसरों से अलग महसूस करता है या समाज उसे अलग समझता है. यही स्टिग्मा है. यह डायबिटीज, अस्थमा, दिल की बीमारी आदि किसी बीमारी के साथ ऐसा नहीं होता. दुनिया में अभी तक ऐसी कोई रिसर्च नहीं हुई थी जिससे ये पता लगाया जा सके कि स्टिग्मा कम कैसे हो सकता है, क्या उसका कोई उपाय है और क्या उससे दौरे भी कम हो सकते हैं?
डॉ. किरनदीप बताती हैं कि एम्स की रिसर्च में शामिल 160 मरीज वे थे जो दवाएं ले रहे थे. इन मरीजों में से 80 को योग की कुछ क्रियाएं कराई गईं, जबकि 80 मरीजों को सिर्फ दवाओं के ऊपर रखा गया. मरीजों के एक ग्रुप को 3 महीने तक लगातार शाम योग, सूक्ष्म व्यायाम और प्राणायाम कराए गए. इसके बाद 3 महीने तक इन सभी मरीजों पर नजर रखी गई और इस क्रिया के असर को देखा गया.
जिस ग्रुप को योग का इंटरवेंशन दिया गया उन सभी मरीजों को 12 हफ्ते तक 45 मिनट से लेकर 1 घंटे तक सूक्ष्म व्यायाम, प्राणायाम और मेडिटेशन के सात सत्र दिए गए. इसके अलावा सभी को हफ्ते में कम से कम 5 बार 30 मिनट के लिए घर पर भी इन्हीं योग क्रियाओं का अभ्यास करने के लिए कहा गया. इसमें कोई भी योगासन बहुत ज्यादा शारीरिक मेहनत वाला नहीं था. 3 महीने के बाद जो परिणाम देखा गया, वह काफी सुखद था.
स्टिग्मा के साथ दौरे भी हुए कम
किरनदीप कहती हैं कि 3 महीने तक मरीजों की निगरानी के बाद पाया गया कि योग न करने वालों या सिर्फ नाम के लिए योग करने वालों की तुलना में नियमित रूप से रोजाना योग के सत्रों का अभ्यास करने वाले मरीजों की बीमारी में सुधार हुआ. देखा गया कि योग करने वाले मरीजों के सिर्फ स्टिग्मा और एंग्जाइटी या खुद को सामान्य लोगों से अलग महसूस करने की आदत में ही नहीं बल्कि मिर्गी के दौरों की फ्रीक्वेंसी में भी 50 फीसदी तक सुधार देखा गया. साथ ही मेंटल हेल्थ भी बेहतर हुई.
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FIRST PUBLISHED : November 24, 2023, 15:53 IST