आपदाओं से निपटने के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजास्टर मैनेजमेंट और TERI में अहम साझेदारी

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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) और ऊर्जा और संसाधन संस्थान (टीईआरआई) ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण में रणनीतिक साझेदारी बनाई है. इस साझेदारी से देश में आनेवाली आपदाओं से अलग अलग संबधित एजेंसियों को अपनी क्षमता यानि कैपेसिटी बिल्डिंग बनाने में बहुत ज्यादा मदद मिलेगी. दरअसल प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन के अनुरूप, एनआईडीएम यानि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजास्टर मैनेजमेंट ने आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर भारत विश्वविद्यालयों और संस्थानों के नेटवर्क (आईयूआईएनडीआरआर-एनआईडीएम) की स्थापना के साथ एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है. इसके तहत आपदा से संबधित पाठयक्रम हर संस्थाओं में बराबर चलाए जाते हैं.

इस नेटवर्क का लक्ष्य देश में सुरक्षा और लचीलेपन की संस्कृति को विकसित करने के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) में ज्ञान, नवाचार और शिक्षा को बढ़ावा देना है. एनआईडीएम. नेशनल इंस्टीट्यूट आफ डिजास्टर मैनेजमेंट ने 24 नवंबर को टेरी संस्था के साथ एक महत्वपूर्ण साझेदारी की है. यह अभूतपूर्व समझौता आपदा प्रबंधन रणनीतियों को आगे बढ़ाने और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण क्षण का प्रतीक है. एनआईडीएम और टीईआरआई के बीच सहयोग का उद्देश्य आपदाओं और जलवायु से संबंधित जोखिमों से उत्पन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने के लिए दोनों संस्थानों की विशेषज्ञता और संसाधनों का उपयोग करना है.

NIDM, TERI ink MoU for collaboration in disaster risk reduction

एमओयू हस्ताक्षर कार्यक्रम इस रणनीतिक साझेदारी को औपचारिक रूप देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो अनुसंधान पहल, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण, नीति वकालत और कार्यान्वयन को बढ़ाने के लिए एनआईडीएम और टीईआरआई संस्थान दोनों की प्रतिबद्धता पर जोर देता है. वर्तमान में, राष्ट्रीय महत्व के 260 विश्वविद्यालय और संस्थान इसका हिस्सा हैं. यह साझेदारी आपदा जोखिम न्यूनीकरण के राष्ट्रीय एजेंडे में योगदान देने की संयुक्त प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जो एक लचीले और सुरक्षित भारत के निर्माण में सहयोग के महत्व को मजबूत करती है.

NIDM, TERI ink MoU for collaboration in disaster risk reduction

राजेंद्र रत्नू, आईएएस, ईडी, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के मुताबिक पीएम मोदी के विजन के मुताबिक भारत में लगातार इस संस्थान की कोशिश है कि आपदा का बचाव और उसका सामना करने के लिए ऐसे पेशेवर तैयार हों जो कि विश्वस्तरीय हों और दुनिया के लिए मिसाल बनें. दरअसल एनआईडीएम और टेरी की इस रणनीतिक साझेदारी का मकसद है आपदा प्रबंधन, टिकाऊ प्रथाओं को आगे बढ़ाने पर ध्यान देना, आपदा और जलवायु जोखिमों से निपटने के लिए संयुक्त विशेषज्ञता, अनुसंधान, क्षमता निर्माण, नीति वकालत और कार्यान्वयन को प्राथमिकता, संयुक्त प्रतिबद्धता-योगदान, डीआरआर अनुसंधान और नीति में सहयोग की क्षमता पर जोर है.

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