Study finds that eyes talk to ears and Microphones in ear canal can tell where a person is looking

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हाइलाइट्स

पाया गया है कि आंखे कानों से “बात” कर सकती हैं.
सही तरह से लगाने से माइक्रोफोन आंखों के संकेत पकड़ सकते हैं.
इस तरह से कान आंख की बातें “सुन” सकते हैं.

क्या इंसान के कानों के जरिए उनकी आंख की गतिविधि की निगरानी की जा सकती है. इस अजबोगरीब बात को संभव करने की उम्मीद हाल ही में हुए एक अध्ययन में जागी है. जिससे वैज्ञानिक एक माइक्रोफोन के जरिए यह पता लगा सकेंगे कि व्यक्ति कहां देख रहा है. दिलचस्प बात यह है कि इस अध्ययन के नतीजों के जरिए सुनने की क्षमता की जांच करने के कुछ क्लीनिकल टेस्ट विकसित किए जा सकते हैं. इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने सुनने और देखने की क्षमताओं और उनके संबंध के बारे में कई और महत्वपूर्ण जानाकरियां हासिल की हैं.

कान से बात कर सकती हैं आंखें?
इस अध्ययन का सबसे अहम और रोचक यह खोज बताई जा रही है कि हमारी आंखों के पास कानों से “बात” करने का एक तरीका है. यहां तक कि शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगा लिया है कि अगर कान के अंदर खास तरह से माइक्रोफोन लगा दिया जाए तो वह ऐसी आवाजों को पकड़ सकता है जो कि आंख की गतिविधि के कारण पैदा होती हैं

आंखों के संकेत सुनना संभव?
यह अध्ययन प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनवल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित हुआ है. इस अध्ययन ने दृश्य- श्रवण कार्यों के प्रभावों को भी रेखांकित किया है. आंखों के संकेत सुनने की क्षमता हासिल करने से अब यह आसानी से पता लगाया जा सकेगा कि व्यक्ति कहां देख रहा है. ये आवाजें हमारे दिमाग के लिए पकड़ पाना असम्भव है लेकिन माना जाता है कि इनका संबंध आंख की गतिविधियों के कारण कान की मासंपेशियों के संकुचित होने से है. ‘

आंख की आवाजें
इस अध्ययन पर आई रिपोर्ट के अनुसार इन प्रणालियों का दृश्य और श्रवण संबंधी जानकारियों के बीच समन्वय करने वाली दिमागीय क्षमता से है. इससे आवाज का तब भी पता चल सकता है जब कान में नहीं केवल आंख में गतिविधि हो रही हो. फिलहाल वैज्ञानिक आंख की गतिविधियों के कारण निकली आवाजों की सही स्थिति का पता नहीं लगा सके हैं.

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पाया गया है कि आंख की गतिविधि से आवाज निकलती है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

और भी जानकारियां
फिर भी शोधकर्ताओं का मानना है कि इससे इंसानों की समझने की क्षमता तो बढ़ ही सकती है, साथ ही इन आवाजों को समझकर सुनने की क्षमता की जांच करने के बिलकुल नए तरह के क्लीनिकल टेस्ट विकसित किए जा सकते हैं. अध्ययन में यह भी बताया गया है कि जिस तरह से आंखें प्रकाश की मात्रा को कम करने के लिए पुतली को फैलाने और सिकोड़ने का काम करती हैं. उसी तरह से तेज आवाजद को समायोजित करने क लिए भी कानों में कोई प्रणाली होती होगी.

कहां देख रही है आंख?
वहीं पिछले शोध ने यह भी दर्शाया गया था कि आंखों की गतिविधि इस तरह के श्रवणीय नियमन प्रणाली को शुरू करती हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखिका जेनिफर ग्रोह का कहना है कि आंख की गतिविधि, उस वस्तु की स्थिति जहां आंख देख रही है, आदि का केवल कान के अंदर लगे माइक्रफोन की रिकॉर्डिंग के जरिए वास्तव में आंकलन किया जा सकता है.

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इस आवाज को सुनने के लिए कान में सही तरीके से माइक्रोफोन लगाना होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)

स्थिति का अंदाजा?
ग्रोह के मुताबिक हम इसे ऐसे तंत्र का हिस्से की तरह सोच सकते हैं जिसमें दिमाग को यह तय करने का मौका मिलता है कि कहां दृश्य और आवाज स्थित है, भले ही जब हमारे कान और सिर ना हिलें, लेकिन आंख हिल रही हो. इसका सुनने और देखने की क्षमताओं के तालमेल से गहरा नाता है जो को लोगों में अलग अलग होती है.

यह पूरा मामला आंख की देखने की क्षमता, कान के सुनने की क्षमता और दिमाग को इनसे मिलने वाले संकेतों को समझने और उनके बीच तालमेल का है. जिस तरह से हम दूर किसी एंबुलेंस की आवाज सुन कर अंदाजा लगाते हैं कि वह किस दिशा में और कितनी दूरी पर होगी. ठीक इसी तरह से  अब वैज्ञानिक इस पर भी अध्ययन करेंगे कि दिमाग जिस तरह से ऐसी आवाजों को सुनता है उनका स्थिति समझने में क्या योगदान होता है.

Tags: Brain, Brain science, Eyes, Health

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