नई दिल्ली. केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) लोकसभा चुनाव से पहले कई राज्यों के राज्यपाल की भूमिका (Governor Responsibilities) बदल सकती है. गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार कुछ राज्यों के राज्यपाल को दूसरे राज्य की जिम्मेदारी संभालने का मौका मिल सकता है. गृह मंत्रालय के सूत्रों से जानकारी मिल रही है कि अगले कुछ दिनों में चुनावी और राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण राज्यों में मौजूदा राज्यपाल बदले जा सकते हैं या उनके जगह दूसरे राज्यपाल की नियुक्ति हो सकती है. बता दें कि इनमें हिंदी पट्टी के साथ-साथ नॉर्थ-ईस्ट और दक्षिण के कुछ महत्वपूर्ण राज्य भी शामिल हैं.
गृह मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो कुछ राज्यों के मौजूदा राज्यपाल को दूसरे राज्य की जिम्मेदारी संभालने की बात जोर-शोर से चल रही है. जबकि, कुछ राज्यपाल ऐसे भी हैं, जिनको उनके स्वास्थ्य कारणों की वजह से हटाया जा सकता है या महत्वपूर्ण प्रदेश से हटा कर दूसरे कम महत्वपूर्ण प्रदेश में भेजा जा सकता है.

पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित सोमवार को पीएम मोदी से मुलाकात की है.
आनंदी बेन पटेल इन तीन राज्यों में रह चुकी हैं राज्यपाल
बता दें कि साल 2014 के बाद मोदी सरकार में आनंदी बेन पटेल एक अकेली राज्यपाल हैं, जो कार्यकाल खत्म होने के बाद भी पद पर बनी हुई हैं. पिछले महीने ही आनंदी बेन पटेल 82 साल की हुई हैं. आपको बता दें कि आनंदी बेन पटेल को साल 2018 में मध्य प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया था. 5 अगस्त 2018 से 28 जुलाई 2019 तक उन्हें छत्तीसगढ़ राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था. बाद में उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल बनाया गया. आनंदी बेन पटेल 9 जुलाई 2019 से अभी तक उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 से पहले फेरबदल संभव
साल 2023 के शुरुआत में ही मोदी सरकार ने देश के कई राज्यों में राज्यपाल के भूमिका में बदलाव और फेरबदल किए थे. अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में बीजेपी की प्रचंड जीत के बाद एक बार फिर से कुछ राज्यपाल के फेरबदल की सुगबुगाहट तेज हो गई है.
इन वजहों से चर्चा में रहते हैं राज्यपाल
पिछले दिनों मणिपुर हिंसा को लेकर काफी बवाल कटा था. मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके की भूमिका को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल उठाए थे. इसी तरह पिछले दिनों तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के कुछ फैसलों को लेकर कफी आलोचना हुई थी. राज्यपाल ने तमिलनाडु सरकार में मंत्री वी सेंथिल बालाजी को बर्खास्त कर दिया था, लेकिन 5 घंटे के बाद उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया. इस फैसले के बाद सीएम स्टालिन और राज्यपाल आरएन रवि के रिश्ते में कड़वाहट आ गई थी. इस पूरे मामले में कई पार्टियों ने राज्यपाल के साथ-साथ बीजेपी की केंद्र सरकार को भी घेरा था.

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार राजनीतिक नफा-नुकसान और राज्यों के भूगोल के हिसब से प्लान तैयार कर रही है. (PTI)
विपक्षी पार्टियों ने उठाए थे सवाल
इसी तरह के एक और मामले में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के एक फैसले पर राज्यपाल के पद को दायरे में रहने की सलाह दी थी. उच्चतम न्यायालय ने पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को 19 और 20 जून को आयोजित ‘संवैधानिक रूप से वैध’ सत्र के दौरान विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर निर्णय लेने का निर्देश दिया था. आप की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि राज्यपाल विधानसभा द्वारा पारित 4 विधेयकों पर अपनी सहमति नहीं दे रहे हैं.
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साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार राजनीतिक नफा-नुकसान और राज्यों के भूगोल और पार्टियों के गणित के हिसाब से प्लान तैयार कर रही है. बीजेपी विपक्षी पार्टियां खासकर साउथ की कुछ पार्टियों के साथ रिश्ते फिर से सामान्य करने पर काम कर रही है. इसलिए, बीजेपी मैनेजमेंट पार्टी के बड़े नेता राज्यपाल के बहाने रिश्ते सुधारने की बात कर रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में कुछ राज्यों के राज्यपाल को उनके भूमिका में बदलाव किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : December 4, 2023, 14:02 IST