नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस संजय किशन कौल ने शुक्रवार को कहा कि अदालतें न्याय का मंदिर हैं और इसके द्वार वादियों के लिए हमेशा खुले रहने चाहिए क्योंकि कोई आम नागरिक जब शीर्ष अदालत तक पहुंचता है तो वह मुकदमा लड़ते-लड़ते काफी थक चुका होता है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर जज लोकतंत्र में अन्य संस्थानों से साहस दिखाने की उम्मीद करते हैं तो उन्हें खुद भी साहसी होना चाहिए.
जस्टिस कौल शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में छह साल और 10 महीने से अधिक के कार्यकाल के बाद 25 दिसंबर को रिटायर हो जाएंगे. उन्होंने अपने अंतिम कार्य दिवस पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) द्वारा आयोजित विदाई समारोह में लोगों को संबोधित किया. इस मौके पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी मौजूद थे.
उन्होंने कहा, ‘मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अदालतें न्याय का मंदिर हैं और इसके द्वार वादियों के लिए हमेशा खुले रहने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट मुकदमे के लिए आखिरी विकल्प होता है और वादी खासकर जब इस (सर्वोच्च) अदालत में पहुंचते हैं तब तक वे मुकदमा लड़ते-लड़ते थक चुके होते हैं. हालांकि वकील और न्यायाधीश उनके लिए मौजूद रहते हैं.’
‘जज की निर्भीकता काफी महत्वपूर्ण’
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक अपने विदाई समारोह को संबोधित करते हुए जस्टिस कौल ने कहा, ‘एक जज की निर्भीकता काफी महत्वपूर्ण है. अगर संवैधानिक संरक्षण के बाद भी हम वह न दिखा सके तो अन्य संस्थानों के लिए कैरेक्टर दिखाना काफी मुश्किल होगा. बार को न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए खड़ा होना होगा. न्यायपालिका का समर्थन करना होगा और उनकी गलतियों को भी सुधारना होगा.’
जस्टिस कौल ने समाज और आम लोगों में घटती सहिष्णुता पर भी बात करते हुए कहा, ‘एक समाज के रूप में हमें एक-दूसरे के प्रति सहिष्णुता रखनी चाहिए. इंटरनेशनल लेवल पर सहिष्णुता कम हो गई है. अब समय आ गया है कि मानव प्रजातियां एक-दूसरे के साथ रहना सीखें, ताकि दुनिया रहने के लिए एक बड़ी जगह बन सके.’

शीर्ष अदालत में अपने दिनों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय की देन है कि न्याय तक पहुंच हर समय निर्बाध रही है. उन्होंने कहा, ‘अपने विवादों के समाधान के लिए इस अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले वादियों के सामने आने वाली चुनौतियां न्याय प्रदान करते समय हमारे दिमाग में सबसे अहम होनी चाहिए.’ उन्होंने कहा कि उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक न्यायाधीश के रूप में अनुभव हासिल किया. (भाषा इनपुट का साथ)
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FIRST PUBLISHED : December 16, 2023, 08:40 IST