‘जाति जनगणना से खतरे में राष्ट्रीय एकता…’, RSS नेता ने की टिप्पणी, पूछा- इससे हासिल क्या होगा?

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नागपुरः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पदाधिकारी श्रीधर गाडगे ने मंगलवार को कहा कि जाति आधारित जनगणना नहीं होनी चाहिए और जानना चाहा कि इससे क्या हासिल होगा. विदर्भ सह-संघचालक गाडगे ने संवाददाताओं से कहा कि इस तरह की कवायद से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से फायदा हो सकता है, क्योंकि इससे यह डेटा मिलेगा कि किसी निश्चित जाति की आबादी कितनी है, लेकिन यह सामाजिक रूप से और राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में अच्छा नहीं है. उल्लेखनीय है कि कांग्रेस देशव्यापी जातीय जनगणना के पक्ष में है.

जाति आधारित जनगणना नहीं होनी चाहिए- आरएसएस पदाधिकारी
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के मंत्रियों और विधायकों ने मंगलवार को यहां रेशिमबाग में आरएसएस संस्थापक के बी हेडगेवार और दूसरे सरसंघचालक एम एस गोलवलकर के स्मारक का दौरा किया. एक समाचार चैनल से बातचीत में गाडगे ने कहा, ‘हमें लगता है कि जाति आधारित जनगणना नहीं होनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने का कोई कारण नहीं है. जाति आधारित जनगणना करके हमें क्या हासिल होगा? यह गलत है.’ उन्होंने कहा, ‘‘हमारा स्पष्ट रुख है कि कोई असमानता, शत्रुता या झगड़ा नहीं होना चाहिए.’

जाति जनगणना और आरक्षण दोनों अलग मुद्दा है
एक सवाल पर गाडगे ने कहा कि जाति आधारित जनगणना का आरक्षण से कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा, ‘आरक्षण एक अलग चीज है और आप जाति व्यवस्था को खत्म कर सकते हैं. मैं उस जाति का होऊंगा, जिसमें मैं पैदा हुआ हूं और जब यह (जाति) आरक्षण के अंतर्गत आएगी, तो इसका उल्लेख किया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि हालांकि, आरक्षण और जाति व्यवस्था अलग-अलग मुद्दे हैं। गाडगे ने कहा कि आरक्षण का प्रावधान सामाजिक उत्थान के लिए किया गया था. उन्होंने कहा, इसलिए, पूर्ण सामाजिक प्रगति होने तक आरक्षण जारी रहेगा, क्योंकि सभी समुदायों ने अभी तक प्रगति नहीं की है.

‘आरक्षण का जाति आधारित जनगणना से कोई लेना-देना नहीं’
गाडगे ने कहा, ‘आरएसएस का स्पष्ट रुख है और प्रतिनिधि सभा में एक प्रस्ताव भी पारित किया गया था कि जब तक समाज के अंतिम व्यक्ति की प्रगति नहीं हो जाती, तब तक आरक्षण जारी रहेगा. यह एक सामाजिक व्यवस्था है, लेकिन इसका जाति आधारित जनगणना से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि जाति की गिनती नहीं होने पर आरक्षण में कोई बाधा नहीं आएगी.’ उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति एक फॉर्म में इसका (अपनी जाति का) उल्लेख करता है, लेकिन सर्वेक्षण की आवश्यकता क्यों है.

‘जातिगत जनगणना राष्ट्रीय एकता के लिए खतरनाक’
आरएसएस ने राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने पर भाजपा सहित राजनीतिक दलों के रुख को अस्वीकार कर दिया है. मंगलवार को संघ के मुख्यालय का दौरा करने वाले महाराष्ट्र के भाजपा और शिवसेना विधायकों के साथ बैठक के दौरान इसने अपना विरोध व्यक्त किया. आरएसएस के विदर्भ क्षेत्र के प्रमुख श्रीधर गाडगे ने टीओआई को बताया कि जाति जनगणना से कुछ लोगों को राजनीतिक रूप से लाभ हो सकता है क्योंकि यह एक निश्चित जाति की जनसंख्या की संरचना पर डेटा प्रदान करेगा, लेकिन यह वास्तव में राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक है.

अमित शाह के बयान पर दी प्रतिक्रिया
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बयान पर गाडगे ने कहा कि किसी मुद्दे पर राजनीतिक दलों का अपना रुख हो सकता है, लेकिन आरएसएस जाति आधारित जनगणना पर अपना कड़ा विरोध जताना चाहता है. उन्होंने कहा, “आरएसएस सामाजिक समानता को बढ़ावा दे रहा है। हमारे देश में जाति के नाम पर फूट है. अगर जाति समाज में असमानता की जड़ है, तो आरएसएस का मानना ​​है कि इसे जाति-आधारित जनगणना जैसी कार्रवाइयों से और अधिक नहीं बढ़ाया जाना चाहिए.”

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मराठा आरक्षण को बताया क्षेत्रीय मुद्दा
यह स्वीकार करते हुए कि सदियों से जाति-आधारित भेदभाव होता रहा है और इसे पूरी तरह खत्म होने में समय लगेगा, गाडगे ने कहा कि जाति जनगणना से यह दरार और गहरी होगी. मराठा आरक्षण की मांग से उपजे राजनीतिक तनाव के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि यह एक क्षेत्रीय मुद्दा है. उन्होंने कहा कि आरक्षण और जाति-आधारित पूर्वाग्रह अलग-अलग मुद्दे हैं, आरक्षण सामाजिक उत्थान के लिए पेश किया गया था. (इनपुट भाषा से)

Tags: Caste Based Census, Maharashtra, RSS

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