गुजरात हाईकोर्ट की किस प्रथा से चीफ जस्टिस हैं खफा? आखिर किसे और क्यों कहा- आप चिंता न करें, मैं काम कर रही हूं

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नई दिल्ली: गुजरात हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि वह जमानत मामलों में ‘नियम निसी’ जारी करने और उसके बाद 2-3 सप्ताह के लिए सुनवाई के लिए उन मामलों को टालने की हाईकोर्ट में चल रही प्रथा को समाप्त करने के लिए काम कर रही हैं. बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि वह न्यायाधीशों द्वारा ‘नियम निसी’ जारी करने और जमानत आवेदनों को दो या अधिक सप्ताह के लिए स्थगित करने की प्रथा को खत्म करने की दिशा में काम कर रही हैं.

चीफ जस्टिस ने यह तब कहा जब वरिष्ठ अधिवक्ता असीम पंड्या ने बुधवार को एक मामले का उल्लेख किया और कहा कि जजों द्वारा जमानत आवेदनों में नियम निसी जारी करने और फिर मामले को दो या अधिक सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए स्थगित करने की प्रथा पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है. सीनियर अधिवक्ता यतिन ओझा ने भी कहा कि हाईकोर्ट के नियमों के मुताबिक जमानत मामलों की सुनवाई 48 घंटे के भीतर होनी चाहिए.

इस पर चीफ जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने बताया कि वह पहले से ही इस मुद्दे को लेकर चिंतित हैं और उन्होंने राज्य के महाधिवक्ता (एजी) कमल त्रिवेदी और लोक अभियोजक (पीपी) मितेश अमीन के साथ एक बैठक तय की है. चीफ जस्टिस अग्रवाल ने सीनियर एडवोकेट से कहा, ‘आप चिंता न करें. मैं पहले से ही इस मुद्दे पर काम कर रही हूं. मैंने 3 अक्टूबर को एजी और पीपी के साथ एक बैठक तय की है और उनके साथ इस मुद्दे को उठाऊंगी. मैं भी इस प्रथा को खत्म करना चाहती हूं और मैं इसे गंभीरता से ले रही हूं.’

चीफ जस्टिस ने आगे बताया कि गुजरात हाईकोर्ट के नियम सरकारी अभियोजकों को जमानत के मामलों पर बहस करने के लिए बाध्य करते हैं, अगर मामला अहमदाबाद शहर से उठता है तो 24 घंटे के भीतर और अगर मामला अन्य जिलों से उठता है तो 48 घंटे के भीतर बहस करना होता है. “ऐसा नहीं है कि मामले पहले दिन ही सुने जाते हैं. कभी-कभी अभियोजकों को अपनी दलीलों के लिए तैयार होने के लिए अधिक समय देने के लिए उन्हें स्थगित भी कर दिया जाता है. मैंने पीपी से बात की लेकिन मुझे पीपी कार्यालय से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली और इस प्रकार मैं अब एजी से बात करूंगी.

बता दें कि गुजरात हाईकोर्ट की इस ‘प्रथा’ की सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल सितंबर में आलोचना की थी, जब उच्च न्यायालय ने कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड द्वारा दायर जमानत याचिका पर ‘नियम’ जारी करते हुए उनकी याचिका को छह सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था. तब के सीजेआई रहे यूयू ललित ने गुजरात हाईकोर्ट से कठोर सवाल किए थे.

Tags: Bail grant, Gujarat High Court

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