सेना ने बनाया चीन को घेरने का फुलप्रूफ प्‍लान, सीमा पर ड्रैगन की हर हरकत पर अब ऐसे नजर रखेगा भारत

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नई दिल्‍ली. लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की चौकियों पर निगरानी और सूचना एकत्र करने के लिए खुफिया अधिकारियों की एक अतिरिक्त टीम तैनात की जाएगी. एक उच्च पदस्थ सूत्र ने कहा कि केंद्र सरकार ने उन चौकियों की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे ‘बॉर्डर इंटेलिजेंस पोस्ट’ (बीआईपी) के नाम से जाना जाएगा. सीमा पर बढ़ती चीनी गतिविधियों और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सीमा उल्लंघन को देखते हुए यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

भारतीय सेना और पीएलए के बीच जून 2020 से लद्दाख में गतिरोध जारी है. एक सूत्र ने बताया कि प्रत्येक बीआईपी पर खुफिया ब्यूरो के चार-पांच अधिकारी तैनात रहेंगे और आईटीबीपी के जवान उनकी सुरक्षा करेंगे. सूत्र ने बताया कि जिन कर्मियों को बीआईपी पर तैनात किया जाएगा, वे सीमा पार की गतिविधियों पर नजर रखेंगे और उच्च अधिकारियों एवं सरकार के साथ अद्यतन सूचनाएं साझा करेंगे. सूत्र ने योजना की संवेदनशील प्रकृति का हवाला देते हुए केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए स्वीकृत राशि का खुलासा करने से इनकार कर दिया.

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बढ़ाई जा रही ITBP की चौकियां
भारत-चीन की संपूर्ण सीमा पर आईटीबीपी की लगभग 180 सीमा चौकियां हैं तथा 45 और बनाने के लिए हाल ही में मंजूरी दी गई है. जून 2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए के साथ झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. पिछले साल नौ दिसंबर को पीएलए सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के यांगस्टे में सीमा का उल्लंघन किया था, जिसके कारण दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई और दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए. मागो अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले के चुना सेक्टर में चीन की सीमा के करीब पहला गांव है.

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‘6 महीने में हर सीमावर्ती गांव तक 5जी इंटरनेट’
सोमवार को यहां एक समारोह को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि कोई देश तब सुरक्षित होता है, जब उसकी सीमाएं सुरक्षित होती हैं. अरुणाचल पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रीजीजू ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एक भी गांव ऐसा नहीं बचा है, जहां वाहन नहीं पहुंच सकते. इन सीमावर्ती गांवों को पहले उपेक्षित किया गया था. मैं आपको यह भी आश्वासन देता हूं कि अगले छह महीनों में अरुणाचल प्रदेश के सभी सीमावर्ती गांवों में 5जी मोबाइल कनेक्टिविटी होगी.’’

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