देश की राजधानी दिल्ली समेत नोएडा और ग्रेटर नोएडा में भी भूकंप के झटके महसूस किए गए. भूकंप का पहला झटका काफी हल्का था, जिसे अधिकांश लोगों ने महसूस नहीं किया. दूसरी बार भूकंप की तीव्रता काफी अधिक थी, जिससे लोग काफी डर गए और जान बचाने के लिए घरों से बाहर निकल गए. भूकंप के बाद से हर कोई अपनी जान माल को लेकर चिंतित रहता है. पर नोएडा में रहने वाले लोगों के लिए अच्छी खबर है कि यहां कि बिल्डिंग ऐसे कई भूकंप आसानी से झेल सकती हैं. प्राधिकरण के अधिकारी ने यह दावा किया है कि यहां की बिल्डिंग 8 रिक्टर स्केल तक का भूकंप का झटका झेल सकती हैं.
प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया कि अब तक छह सोसाइटी के एओए की ओर से स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने के लिए आवेदन आए है. नोएडा में करीब 100 सोसायटियां हैं जिनमें 400 हाइराइज इमारतें है. सवाल यह है कि इन इमारतों की मजबूती कितनी है. इनमें से अधिकांश इमारतों को बने हुए पांच साल से ज्यादा हो गए. प्राधिकरण का दावा है यहां बनी इमारत रिक्टर स्केल पर 7 से 8 तक का झटका झेल सकती है.
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स्ट्रक्चर ऑडिट को लेकर नोएडा प्राधिकरण की पॉलिसी करीब छह महीने पहले ही बन चुकी है और सात एजेंसियों के साथ उसका करार भी हो चुका है, लेकिन अभी तक किसी भी बिल्डिंग का स्ट्रक्चर ऑडिट शुरू भी नहीं हुआ. प्राधिकरण की ओर से आवेदन करने वालों का कोई सर्वे भी नहीं किया गया. प्राधिकरण के अधिकारी ने बताया सबसे पहले सोसाइटी वाले बिल्डर या एओए को स्ट्रक्चर ऑडिट के लिए कहा जाएगा. इसके बाद एक प्रतिनिधि 25 प्रतिशत निवासियों की सहमति के साथ प्राधिकरण में आवेदन करेगा. प्राधिकरण की एक टीम सर्वे करने सोसाइटी जाएगी. वहां सर्वे की रिपोर्ट को प्राधिकरण की समिति के समक्ष रखा जाएगा. यहां से पास होने के बाद बिल्डर या एओए से प्राधिकरण के पैनल की सात एजेंसियों में से एक का चुनाव करने के लिए कहा जाएगा.
प्राधिकरण ने यह भी विकल्प दिया है कि पांच साल से पुरानी इमारतों के आरडब्ल्यूए या एओए भी इन एजेंसियों से स्ट्रक्चर ऑडिट करवा सकती है. इसका खर्चा उन्हें खुद देना होगा. प्राधिकरण ने बताया कि पॉलिसी लागू होने से पहले बिल्डर खुद ऑडिट कराता था. इसकी रिपोर्ट आईआईटी से संबंधित कोई प्रोफेसर एप्रूव कर सकता था. इस रिपोर्ट को प्राधिकरण की मान्यता मिलने के बाद बिल्डर को ओसी और सीसी जारी होता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा.
नोएडा सिस्मिक जोन-4 में आता है जो भूकम्प के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना जाता है. इसके मद्देनजर नोएडा में बनाए जा रहे प्रोजेक्ट, सड़क और इमारतें सिसमिक जोन-5 के हिसाब से बनाई जा रही हैं. हालांकि नोएडा के बायर्स की ओर से हमेशा स्ट्रक्चर को लेकर शिकायत की जाती रही है. इसके लिए प्राधिकरण ने एक कमेटी का गठन किया है जो स्ट्रक्चरल ऑडिट के दौरान यह तय करेगी कि इमारत में माइनर डिफेक्ट है या मेजर. इसके बाद ऑडिट होगा और मरम्मत होगी.
प्राधिकरण के पैनल में जो एजेंसियां हैं, उनमें आईआईटी कानपुर, एमएनआईटी प्रयागराज, बिट्स पिलानी, एनआईटी जयपुर, सीबीआरआई रुड़की शामिल हैं. नोएडा प्राधिकरण ने शहर में चार श्रेणियों में जर्जर इमारतों का सर्वे कराया था. इसमें कुल 1,757 इमारतों को चिह्नित किया गया था. इसमें 114 इमारतों ऐसी थीं, जिनको ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन अब तक किसी भी इमारत को ध्वस्त नहीं किया गया. इसमें पहला असुरक्षित और जर्जर, दूसरा अधिसूचित व अर्जित भवन पर अवैध कब्जा, तीसरा अधिसूचित व अनर्जित पर बनी इमारत व चौथा ग्राम की मूल आबादी में बनी बहुमंजिला इमारतों को शामिल किया गया था. सर्वे के परिणाम चौंकाने वाले थे. पहली श्रेणी में कुल 56 जर्जर व असुरक्षित इमारत थी. कुल मिलाकर 1,757 इमारतों की एक सूची बनाई गई. ध्वस्तीकरण अब तक नहीं किया जा सका.
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FIRST PUBLISHED : October 4, 2023, 12:35 IST