नई दिल्ली: देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ शुक्रवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के जजों पर भड़क उठे. इसके पीछे वजह यह थी कि हाईकोर्ट के जज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल या हाइब्रिड मोड में सुनवाई नहीं कर रहे थे. इस पर उन्होंने कड़े शब्दों में नाराजगी जताई और कहा कि सभी जजों को नई टेक्नोलॉजी सीखनी होगी. सर्वेश माथुर बनाम पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के मामले में हो रही सुनवाई के दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने पाया कि बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम पटेल के अलावा हाईकोर्ट के एक-दो और जज ही नई टेक्नोलॉजी का प्रयोग कर रहे थे मगर बड़ी संख्या में जज इस हाइब्रिड सुनवाई से अलग थे. इस पर सीजेआई ने कहा कि तकनीक पर इतना सूनापन क्यों है… जस्टिस पटेल के अलावा कोई और इसका उपयोग क्यों नहीं कर रहा है?
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ इस मामले में अपना दर्द नहीं छिपा सके और जजों से नई तकनीक सीखने को कहा. महत्वपूर्ण बात है यह कि जस्टिस चंद्रचूड़ का मूल हाईकोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट ही है. उन्होंने कहा कि बॉम्बे (हाईकोर्ट) में आपने बुनियादी ढांचे को खत्म कर दिया है. यह मेरा पैरेन्ट हाईकोर्ट है और मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है कि हाइब्रिड सुनवाई को हटा दिया गया है कितनी स्क्रीन हटाई गई हैं, जस्टिस गौतम पटेल के अलावा और कितनी अदालतों में हाइब्रिड सुनवाई होती है?
दरअसल, चीफ जस्टिस सुप्रीम कोर्ट में उस याचिका पर सुनवाई करने वाली बेंच में शामिल थे, जिसमें हाईकोर्ट्स, कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल्स और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल्स समेत विभिन्न न्यायिक मंचों पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होने वाली वर्चुअल सुनवाई कम होने पर चिंता जताई गई थी. चीफ जस्टिस ने कहा कि भारत में हर जज को हर हाल में टेक्नोलॉजी के साथ तालमेल बिठाना ही होगा. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सवाल यह नहीं है कि एक जज तकनीक फ्रेंडली है या नहीं. यदि आपको जज बनना है तो आपको तकनीक के अनुकूल होना ही होगा. यदि आप इस देश में जज बनना चाहते हैं, तो आपके पास प्रौद्योगिकी का ज्ञान होना चाहिए और हर न्यायाधीश का इसमें प्रशिक्षित होना जरूरी है. यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के जजों को भी प्रशिक्षण केंद्रों में प्रशिक्षित किया गया है. जस्टिस रवींद्र भट्ट ने उन टीमों को संभाला है.

मामले की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करना स्वीकार कर लिया है, तो हाईकोर्ट्स इस मामले में इतने अनिच्छुक और उदासीन क्यों हैं. महाराष्ट्र के एडिशनल एडोवोकेट जनरल डॉ. बीरेंद्र सराफ को संबोधित करते हुए सीजेआई ने कहा कि मुझे वकीलों ने बताया था कि बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रौद्योगिकी को हटा दिया गया है. इस पर एजी सराफ ने बताया कि जब भी अनुरोध किया जाता है, तब न्यायाधीश वर्चुअल सुनवाई की अनुमति देते हैं. हालांकि सीजेआई इस मुद्दे पर चिंतित ही दिखे. तब महाधिवक्ता ने कहा कि वह आज ही हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से इस मुद्दे पर बात करेंगे. सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि प्रौद्योगिकी अब पसंद का विषय नहीं रह गया है. यह कानून की किताबों की तरह ही आवश्यक है. प्रौद्योगिकी के बिना अदालतें कैसे काम करेंगी?
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FIRST PUBLISHED : October 6, 2023, 18:47 IST