सनातन विवाद: उदयनिधि ने संविधान के साथ फ्रॉड किया है, किस हक से मंत्री पद पर हैं; HC में वकील का तर्क

Picture of Gypsy News

Gypsy News

चेन्नई: तमिलनाडु के युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के विनाश का आह्वान करके ‘संविधान के साथ धोखाधड़ी’ की है और इसलिए उन्हें यह बताने के लिए कहा जाए कि वह किस अधिकार के तहत मंत्री के साथ-साथ विधायक के पद पर बने हुए हैं. वरिष्ठ वकील टी.वी. रामानुजम ने 11 अक्टूबर को मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष दलील दी. बता दें कि 2 सितंबर को चेन्नई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे ने कहा था कि यह डेंगू और मलेरिया के समान है, और इसलिए इसे खत्म कर देना चाहिए.

द हिंदू की खबर के मुताबिक, वरिष्ठ वकील टीवी रामानुजम ने बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट को बताया कि तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म के उन्मूलन का आह्वान करके संविधान के साथ धोखाधड़ी की है. दरअसल, जस्टिस अनिता सुमंत बुधवार को हिंदुत्व समूह हिंदू मुन्नानी संगठन के तीन पदाधिकारियों द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थीं. अदालत से आग्रह किया गया कि उदयनिधि स्टालिन के साथ-साथ मंत्री पीके शेखर बाबू और सांसद ए राजा को निर्देश दिया जाए कि वे सनातन धर्म के खिलाफ अपनी टिप्पणियों के बाद किस अधिकार के तहत सार्वजनिक पद पर कायम हैं.

वकील रामानुजम ने जज से कहा कि उदयनिधि स्टालिन ने संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन किया है, जो प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्र रूप से ‘धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने’ का अधिकार देता है. वकील ने कहा कि मैं सनातन धर्म का पालन करने का हकदार हूं, कोई भी इसे खत्म करने का आह्वान नहीं कर सकता. वह एक राज्य के मंत्री हैं. राज्य उन्मूलन का आह्वान कैसे कर सकता है? यह अनुच्छेद 25 का घोर उल्लंघन है. वह संविधान के साथ धोखाधड़ी नहीं कर सकते और इससे बचने की कोशिश नहीं कर सकते. उन्हें सार्वजनिक पद पर नहीं बैठना चाहिए.

जस्टिस अनीता सुमंत के समक्ष पेश होते हुए वरिष्ठ वकील ने कहा कि वह अपने मामले की भविष्यवाणी केवल इस आधार पर नहीं कर रहे कि मंत्री ने अपने पद की शपथ का उल्लंघन किया है, बल्कि एक विशेष समुदाय के खिलाफ बोलकर संविधान के साथ धोखाधड़ी की गई है. हालांकि, तीन विधायकों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि मामला राजनीति से प्रेरित है और पब्लिसिटी के लिए दायर किया गया है. उन्होंने रिट याचिकाकर्ताओं द्वारा सनातन धर्म के खिलाफ कथित भाषणों के वीडियो को थंब ड्राइव में दायर करने के औचित्य पर सवाल उठाया. वकील ने तर्क दिया कि उच्च न्यायालय के नियम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में साक्ष्य प्रस्तुत करने की अनुमति नहीं देते हैं.

हाईकोर्ट के ध्यान में यह भी लाया गया कि जब ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण आपराधिक मुकदमों में निचली अदालतों के समक्ष पेश किए जाते हैं, तो उन्हें भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 65बी के तहत सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी प्रमाण पत्र के साथ प्रस्तुत करना आवश्यक है. विल्सन ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत थंब ड्राइव को तुरंत खारिज कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उनकी सामग्री की प्रामाणिकता संदिग्ध थी.

सनातन विवाद: उदयनिधि स्टालिन ने संविधान के साथ फ्रॉड किया है, किस हक से मंत्री पद पर हैं; HC में वकील का तर्क

हालांकि, उनकी प्रारंभिक दलीलें सुनने के बाद जज ने एजी और उत्तरदाताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य वरिष्ठ वकील को सुनने से पहले तीन रिट याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील श्री रामानुजम, जी राजगोपालन और जी कार्तिकेयन की सुनवाई शुरू करने का फैसला किया. इसके बाद श्री रामानुजम ने अपनी दलीलें शुरू कीं.

Tags: High court, Madras high court, MK Stalin

Source link

और भी

Leave a Comment

इस पोस्ट से जुड़े हुए हैशटैग्स