रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की क्रिमिनल रिट याचिका पर शुक्रवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के बाद दोनों पक्षों की ओर से दलील आ जाने के बाद हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री की याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जब सभी समन की तारीख खत्म हो चुकी है. तब ऐसे में इसपर सुनवाई का कोई आधार नहीं बनता. इसके बाद सभी पक्षों से बात करने के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.
कपिल सिब्बल ने की पैरवी – दरअसल, मुख्यमंत्री की ओर से PMPLA एक्ट की धारा 50 और 63 को कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने इसपर कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट पहले ही फैसला ले चुका है. अब इस पर सुनवाई का यहां कोई आधार नहीं बनता. मुख्यमंत्री की ओर से आज कोर्ट में वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की.
खुले हैं सीएम सोरेन के विकल्प
हालांकि, अब मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने तमाम विकल्प खुले हैं, लेकिन जब तक कोई नया समन उन्हें जारी नहीं होता है, तब तक उनके सुप्रीम कोर्ट जाने का कोई आधार नहीं है. लेकिन, इन सबके बीच सबसे बड़ी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट में PMPLA एक्ट की धारा 50 और 63 पर 18 अक्टूबर को एक मामले में रिव्यू होनी है. इसके तहत यह समीक्षा होनी है कि किसी भी व्यक्ति को ईडी के समन पर बुलाए जाने का आधार क्या है.
मामले की समीक्षा करेगा SC
इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय यह समीक्षा करेगा कि क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को आरोपी के तौर पर बुलाया जा रहा है या फिर गवाह के तौर पर. अगर सुप्रीम कोर्ट के रिव्यू मे सारी चीजें स्पष्ट हो जाती है तब फिर वह फैसला इस मामले में एक रिफरेंस के तौर पर बड़ा काम करेगा. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री को अगला समन 18 अक्टूबर से पहले भेजा जाता है या फिर उसके बाद में.
हेमंत सोरेन पहुंचे थे सुप्रीम कोर्ट
गौरतलब है कि ईडी ने समन भेज कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 5 तारीखों में पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन मुख्यमंत्री किसी भी समध की तारीख में ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे थे. बता दें कि मुख्यमंत्री को 14 अगस्त को पहला, 24 अगस्त को दूसरा, 9 सितंबर को तीसरा, 23 सितंबर को चौथा और 4 अक्टूबर को पांचवे समन के तहत ईडी कार्यालय पहुंचना था. लेकिन, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से 23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया.
पी. चिदंबरम ने रखी थी दलील
इसके बाद 23 सितंबर को उन्होंने झारखंड हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका फाइल की. 11 अक्टूबर को जब इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी, तब हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से पक्ष रखा गया था. सीएम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता पी चिदंबरम ने यह दलील दी थी कि ईडी के भेजे संमन में स्पष्टता नहीं है. समन से यह पता नहीं चल पा रहा है कि मुख्यमंत्री को आरोपी के तौर पर बुलाया जा रहा है या फिर गवाह के तौर पर.
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FIRST PUBLISHED : October 13, 2023, 13:13 IST