‘संडे हो या मंडे रोज खाएं अंडे’ ये लाइन्स हम बचपन से सुनते आ रहे हैं. लेकिन इस पर कितना और कैसे अमल करना है ये डॉक्टर से पूछ कर ही डिसाइड करें तो बेहतर होगा. लेकिन एक बात तो है सोशल मीडिया हो या किताबों की बातें, हर जगह अंडे के गुणगान गाए जाते हैं. तो इनकी सुन लेते हैं.
एक दिन में कितने अंडे खाने चाहिए . सवाल के जवाब में एक्सपर्ट कहते हैं कि हैल्दी व्यक्ति रोजाना दो से तीन अंडे का सेवन कर सकता है. मोटे तौर पर पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति एक सप्ताह में सात से दस अंडे खा सकता है. एथलीट और जिम में रेगुलर वर्कआउट करने वाले लोगों को ज्यादा प्रोटीन की दरकार होती है. ऐसे लोग रोज चार से पांच अंडे खा सकते हैं. वैसे तो अंडे पोष्टिक प्रोटीन का बेहतर स्त्रोत हैं, लेकिन इनमें कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक होती है. इसके बावजूद इनमें स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले कई गुण होते हैं. अंडा एक सुपर फूड होता है जिसमें विटामिन बी2, विटामिन बी12, विटामिन डी, विटामिन ए, फैटी एसिड होता है. लेकिन जरूरी बात ये है कि अति किसी भी चीज की बुरी होती है और अंडा भी इसका अपवाद तो नहीं, इसलिए इसे बहुत ज्यादा खाने से तो बचना ही चाहिए.
अब अंडों की बात चल ही रही है तो एक और जरूरी बात भी बताते चलें, 13 अक्टूबर को विश्व अंडा दिवस है. इसकी तिथि तय नहीं है क्योंकि यह हर साल अक्टूबर माह के दूसरे शुक्रवार को मनाया जाता है. इसके चलते इसकी तारीख में परिवर्तन होता रहता है. वर्ष 1996 में पहली बार वर्ल्ड एग डे सेलिब्रेट किया गया था. इसकी घोषणा इंटरनेशनल एग कमीशन (IEC) द्वारा एक सम्मेलन के दौरान वियना में की गई थी. अंडों में मौजूद पौषक तत्वों के प्रति लोगों को जागरूक करने उद्देश्य को सामने रखते हुए विश्व अंडा दिवस मनाने की शुरुआत की गई. इसमें उपस्थित न्युट्रिएंट्स से शरीर को होने वाले फायदे की जानकारियां लोगों तक पहुंचाना ही इसका मुख्य उद्देश्य है.
अंडा पहले आया या मुर्गी ?
लाख टके का एक सवाल है, जो हम बचपन से सुनते आ रहे हैं वो ये कि ‘मुर्गी पहले आई कि अंडा’. लेकिन अब वैज्ञानिकों ने इस गूढ़ और उलझे हुए सवाल का जवाब खोज निकाला है. उनका कहना है कि मुर्गी पहले आई थी और अंडा बाद में. यूनाइटेड किंगडम (यूके) के शेफील्ड और वारविक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर्स ने इस उत्तर तक पहुंचने के लिए बहुत पापड़ बेले, गहन रिसर्च की तब जाकर वो इस नतीजे पर पहुंचे कि पहले मुर्गी आई थी, बाद में अंडा. अपने उत्तर को सही साबित करने के लिए वैज्ञानिकों ने तर्कसंगत तथ्य भी पेश किए हैं. रिपोर्ट में रिसर्चर्स दावा करते हैं कि हजारों साल पहले मुर्गा-मुर्गी आज की तरह नहीं थे. पहले मुर्गी अंडा नहीं देती थी, बल्कि पूर्ण रूप से बच्चे को जन्म देती थी. बाद के वर्षों में इनमें परिवर्तन की शुरुआत हुई और पूर्ण रूप से बच्चा देने वाले मुर्गा-मुर्गी की प्रजाति में अंडे देने की क्षमता विकसित हो गई. यानि मुर्गी तो अंडे के बिना पैदा हो सकती थी, लेकिन मुर्गी के बिना अंडा पैदा होना नामुमकिन था.
शैफील्ड विश्वविद्यालय और वारविक विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक अंडे के छिलके के निर्माण में ओवोक्लिडिन (OC-17) नामक प्रोटीन पाया जाता है, जो कि बहुत महत्वपूर्ण है. इसके बिना अंडे का खोल बनना नामुमकिन है. यह प्रेग्नेंट मुर्गी के अंडाशय में पैदा होता है. इससे इस जवाब पर पहुंचा जा सकता है कि धरती पर पहले अंडे नहीं, बल्कि मुर्गी आई थी.
क्या अंडा शाकाहारी होता है ?
जवाब में कहा जाता है कि अंडा बेशक ये मुर्गी से प्राप्त होता है, लेकिन अंडा प्राप्त करने के लिए चूंकि मुर्गी को मारा नहीं जाता है इसलिए इसे शाकाहारी की श्रेणी में रखा जा सकता है. वैसे यह बहस अभी तक किसी नतीजे तक नहीं पहुंची है क्योंकि सभी शाकाहारी लोग इस तथ्य से सहमत नहीं हैं. विरोधियों के तर्क अपनी जगह सही हो सकते हैं.
इस सबंध में तकनीकी जानकारी भी दिलचस्पी से खाली नहीं है कि अंडा देने के लिए मुर्गी को मुर्गे के संपर्क मे आना जरूरी नहीं है. इस तरह प्राप्त अंडों को अनफर्टिलाईज्ड एग कहा जाता है. विशेषज्ञ डॉक्टर्स बताते हैं कि इन अंडों से कभी चूजे नहीं निकल सकते. इस फील्ड की स्पेशलिस्ट एक डॉक्टर कहती हैं कि मुर्गे के संसर्ग में आए बिना मुर्गी जो अंडा देती है वह शाकाहारी अंडा कहलाएगा. अगर उस मुर्गी से आगे बच्चा पैदा करने के लिए इनक्वेटर हेचरीज का यूज किया जाए तो इसके लिए 10 मुर्गियों पर एक मुर्गे का उपयोग होगा, होता भी है. इस केस में जो भी अंडा होगा वो फर्टिलाइज अंडा होगा. इसे नॉन वेजीटेरियन अंडा कहा जाएगा. यानि मुर्गी जब मुर्गे के संपर्क में आने के बाद फर्टिलाईजेशन से अंडा देती है तो इसे नॉनवेजीटेरियन कहा जाएगा.
मुर्गी को लेकर एक सवाल यह भी पूछा जाता है. मुर्गी जानवर है या पक्षी ? मुर्गी शब्द का प्रयोग मादा मुर्गियों के संदर्भ में किया जाता है. सोशल मीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार मुर्गियां सर्वाहारी पक्षी हैं. ये कीड़े, छिपकलियां, बीज और अनाज खाती हैं. ये सबसे व्यापक रूप से पाई जाने वाले पालतू पशुओं में से एक हैं. वयस्क होने पर मादा मुर्गी को मुर्गी के रूप में तथा मादा किशोर को पुलपेट के रूप में पुकारा जाता है. वयस्क नर को मुर्गा तथा किशोर नर को कॉकरेल कहकर पुकारा जाता है. ये भी बता दें कि मुर्गी का वैज्ञानिक नाम गैलस डोमेस्टिकस है.
ये सवाल जरूर हल हो गया है कि पहले मुर्गी आई और बाद में अंडा. पहले कोई भी आया हो मुर्गी के बिना अंडे का अस्तित्व नहीं है और अंडा नहीं तो मुर्गी की उतनी वेल्यु नहीं. क्योंकि अंडा है ही इतनी कमाल की चीज. सेहत को फायदा पहुंचाने की बात तो है ही, इसकी एक और विशेषता ये है कि यह फास्ट फुड का भी बादशाह है. सामान्यत: इसे बनाने में वक्त बहुत कम लगता है. लेकिन ये भी ध्यान रहे कि जब अंडे का गुणगान करें तो उसे पैदा करने वाली मां की अहमियत को भी न भूलें, घर की मुर्गी को भी याद रखें, क्योंकि घर की हर मुर्गी दाल बराबर नहीं होती.
शकील खानफिल्म और कला समीक्षक
फिल्म और कला समीक्षक तथा स्वतंत्र पत्रकार हैं. लेखक और निर्देशक हैं. एक फीचर फिल्म लिखी है. एक सीरियल सहित अनेक डाक्युमेंट्री और टेलीफिल्म्स लिखी और निर्देशित की हैं.