‘द गॉडफादर’ उपन्यास से ‘द गॉडफादर’ फिल्म तक का सफर कैसा था देखिये ‘द ऑफर’ में

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विश्व सिनेमा में मारिओ पुज़ो के उपन्यास पर आधारित और फ्रांसिस फोर्ड कपोला द्वारा निर्देशित फिल्म “द गॉडफादर” का नाम टॉप 10 फिल्म्स में किया जाता है और हमेशा किया जाता रहेगा. फिल्म लिखने वाले, फिल्म निर्देशित करने वाले, अभिनय करने वाले, प्रोडक्शन डिज़ाइनर यहाँ तक कि फिल्म के सेट पर मौजूद एक्स्ट्रा और सेट बनाने वाले कारीगरों के पास भी इस फिल्म से जुडी कोई न कोई कहानी है, कोई न कोई याद है. दुनिया के हर देश में फिल्म की शिक्षा लेने वाले हर छात्र को “गॉडफ़ादर” का पारायण करना ज़रूरी होता है. न सिर्फ ये फिल्म एक सफल उपन्यास पर बनी एक सफल फिल्म है बल्कि इसके निर्देशक फ्रांसिस फोर्ड कपोला और इसके अभिनेताओं फिल्म को यादगार से उठाकर कालजयी का दर्ज़ा दिलवा दिया है. उपन्यास के अपने आशिक हैं और फिल्म के अपने दीवाने लेकिन सबसे अच्छी बात ये है कि फिल्म के दीवानों को फिल्म गॉडफादर कैसे बनी ये जानने में बेहद रूचि रही है. फिल्म के बारे में छपी किताबों और टेलीविज़न पर लेखक/ निर्देशक या सितारों के इंटरव्यू देखने से जितना मालूम हासिल हो सकता था वो तो किया ही गया लेकिन एक टीस रह जाती थी कि इस फिल्म के पीछे की पूरी कहानी देखने को मिले तो बात बने. 14 मार्च 1972 को पहली बार इसे परदे पर रिलीज़ किया गया और आज 50 साल बाद भी इस फिल्म के बनने की कहानी जानने की रूचि कम नहीं हुई है इसलिए वूट पर अब आप “द ऑफर” नाम की 10 एपिसोड की श्रृंखला देख सकते हैं. इस वेब सीरीज का हर हफ्ते एक ही एपिसोड रिलीज़ किया जाता था.

द गॉडफादर की अपनी अजीब कहानी है. उपन्यासकार मारियो पुजो तंगहाली के दौर में थे. पिछली किताबें चली नहीं थी तो उन पर ख़ासा दबाव था कि कोई ऐसा उपन्यास लिखें जो प्रकाशक को पैसा कमा कर दे सके. मारियो ने पता नहीं किस धुन में न्यू यॉर्क में माफिया परिवारों पर रिसर्च करना शुरू की. कड़ी मेहनत के बाद गॉडफादर की रूपरेखा बनी. ये एक मिथ्या है कि मारियो खुद सिसिली का रहनेवाला था और उसने इटली जा कर माफिया की ज़िन्दगी की गहरी छानबीन की थी. मारिओ, जन्म से लेकर गॉडफादर लिखने तक अमेरिका ही रहा. जब किताब प्रकाशित हुई तो 67 हफ़्तों तक न्यू यॉर्क टाइम्स बेस्ट सेलर रही और 2 साल में करीब 90 लाख प्रतियां बेचीं गयी. पैरामाउंट पिक्चर्स ने इस करीब 80,000 डॉलर में तब खरीदा था जब वो बेस्ट सेलर नहीं बनी थी. पैरामाउंट भी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा था क्योंकि उनकी अधिकांश फिल्में फ्लॉप हो रही थी. उन्हें तो गॉडफादर बनानी भी नहीं थी लेकिन पैरामाउंट के वाईस प्रेजिडेंट रॉबर्ट इवांस को यकीन था कि ये किताब कुछ अलग है और इस पर फिल्म बनायीं जानी चाहिए. रॉबर्ट ने करीब 12 निर्देशकों को ये फिल्म बनने का निमंत्रण दिया जिसमें कि खुद फ्रांसिस फोर्ड कपोला शामिल थे. सभी ने इसे नकार दिया, और कोई निर्देशक उन दिनों गैंगस्टर फिल्म या माफिया फिल्म नहीं बनाना चाहता था. फ्रांसिस फोर्ड कपोला जो एक फिल्म अपने अंदाज़ में और अपने मिज़ाज के मुताबिक बनानी थी इसलिए आखिर में उसने इस फिल्म के निर्देशन के लिए हाँ कर दिया. पूरी फिल्म में मार्लन ब्रांडो के अलावा एक भी ऐसा एक्टर नहीं था जिसको लोग अच्छे से जानते भी हों और मार्लन का करियर भी कुछ खास चल नहीं रहा था. जब फिल्म बनना शुरू हुई तो अमेरिका में रहने वाले इटालियन मूल के लोगों को इस फिल्म से घोर आपत्ति थी क्योंकि उन्हें लग रहा था कि फिल्म उन्हें माफिया के रूप में दिखा कर गलत कर रही है. बहरहाल, हज़ारों कठिनाइयों के बावजूद फिल्म बनी और इसने इतिहास का कद छोटा कर दिया.

द ऑफर में फिल्म प्रोडक्शन कंपनी पैरामाउंट प्रोडक्शंस का वाईस प्रेजिडेंट रॉबर्ट इवांस (मैथ्यू गुड) अपने बॉस यानि चार्ल्स ब्लूहडॉर्न (बर्न गोरमन)को गॉडफादर प्रोड्यूस करने के लिए मन लेता है. रॉबर्ट की मुलाकात होती है अल्बर्ट एस. रूडी (माइल्स टेलर) से जो उसे खासा प्रभावित कर लेता है. रॉबर्ट, गॉडफादर को प्रोड्यूस करने का ज़िम्मा अल्बर्ट को देता है. ये वेब सीरीज पूरी की पूरी अल्बर्ट रूडी की कहानी है. कैसे वो फ्रांसिस फोर्ड कपोला की क्रिएटिव विज़न को परदे पर उतारने के लिए साम, दाम, दंड, भेद के अलावा चातुर्य और वाक्पटुता से कभी मार्लोन ब्रांडो, तो कभी अल पचीनो, कभी चार्ल्स ब्लूहडॉर्न, तो कभी रॉबर्ट इवांस तो कभी उस समय के न्यू यॉर्क के सबसे खूंखार इतालियन माफिया जो कोलम्बो (जिओवानी रीबीसी) और कभी किसी और मुश्किल को एक माहिर बाज़ीगर की तरह संभालता रहता है. कभी मारियो से उपन्यास की पटकथा लिखवाने की कवायद, कभी शूटिंग की परमिशन की कवायद, कभी किसी राजनीतिज्ञ से भिड़ंत तो कभी अल पचीनो को दूसरी फिल्म से निकलवा कर उसे अपनी फिल्म में लेने की मशक्कत, अल्बर्ट रूडी सब कुछ बड़ी नफासत से करते जाता है. द ऑफर में और भी किरदार हैं और कुछ किरदारों का गेटअप तो इतना बढ़िया है कि फिल्म की शूटिंग की तस्वीरों की हूबहू कॉपी लगते हैं. फ्रांसिस फोर्ड कपोला के रूप में डैन फॉगलर, मारियो पूजो के रोल में पैट्रिक गैलो, जस्टिन चैम्बर्स बने मार्लन ब्रांडो तो अन्थोनी इप्पोलितो बने अल पचीनो। इनका अभिनय, भाव भंगिमाएं, गेटअप, मेकअप यानि सब कुछ ही असली शख्स के इतना करीब नज़र आया है कि दर्शकों को गॉडफादर के दृश्यों की याद दिला दी.

द ऑफर की खासियत है कि ये कहानी फिल्म बनने से पहले की मशक्कत और फिल्म बनाने की दिक्कतों का ज़िक्र करती है लेकिन पूरी सीरीज में एक भी ऐसा शॉट नहीं लिया गया है जो फिल्म में था. वेब सीरीज बनी है ‘गॉडफादर कैसे बनी” इस थीम के साथ और निर्देशकों डेक्सटर फ्लेचर, एडम आर्किन, कोलिन बक्सी, और ग्वेनिथ होर्डर-पेटन ने इस बात का खास ख्याल रखा है कि वो फिल्म के किसी भी सीन के बनने की कहानी को दर्शकों तक न पहुंचा दें. इसके बावजूद जो कोलंबो और अल्बर्ट रूडी के बीच के संवादों को सुन कर लगता है कि इन्हीं से प्रेरित हो कर कुछ महाप्रसिद्ध डायलॉग फिल्म की स्क्रिप्ट में पहुँच गए थे. रूडी की सेक्रेटरी बेट्टी के रोल में जूनो टेम्पल ने लगभग एक सूत्रधार का काम किया है. द ऑफर में सभी किरदारों में कलाकार एकदम अव्वल दर्ज़े के चुने गए हैं फिर वो भले ही एक दो दृश्यों के लिए क्यों न आये हों. सीरीज की सेटिंग पूरी तरह से 70 के दशक ने न्यू यॉर्क की है, उस समय के कपडे, उस समय की गाड़ियां और उस समय का परिवेश बनाये रखा गया है. ये वेब सीरीज हर उस शख्स के लिए है जिसने “द गॉडफादर” उपन्यास पढ़ा है.

इस वेब सीरीज को लिखने में लेस्ली ग्रीफ, अल्बर्ट रूडी, माइकल टॉल्किन, निक्की टोस्कानो, रसल रॉथबर्ग, केविन हाइंस और मोना मीरा जैसे अनुभवी लेखकों की पूरी टीम लगी है. ये वेब सीरीज हर उस शख्स के लिए है जिसने “द गॉडफादर” फिल्म देखी है. ये वेब सीरीज हर उस शख्स के लिए है जो गॉडफादर को दीवानगी की हद तक पसंद करता है, उसका एक एक सीन या एक एक डायलॉग याद रखता है. दुनिया में ऐसे भी शख्स हैं जो पूरी फिल्म को मय डायलॉग सुना सकते हैं, ये वेब सीरीज उन्हीं के लिए है. इसके ज़रिये एक नए किस्म का कॉन्टेंट देखने को मिलता है जो कि फिल्म बनने की असली कहानी का नाट्य रूपांतरण है. रुचिकर है, नया है. और है तो गॉडफादर ही. क्योंकि द ऑफर में है ऐसा ऑफर जिसे आप कभी मना ही नहीं कर पाएंगे.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Film review

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