Mission Raniganj Review: ‘2018’ जैसी ‘मिशन रानीगंज’, सीट से बांधे रखता है रोमांच, द‍िल जीत ले गए अक्षय कुमार

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नई द‍िल्‍ली. अक्षय कुमार और हाल ही में दुल्‍हन‍ियां बनीं एक्‍ट्रेस परिणी‍त‍ि चोपड़ा की फ‍िल्‍म ‘म‍िशन रानीगंज’ र‍िलीज हो गई है. अगर आप फिल्म में अच्छी कहानी की तलाश रखते हैं तो आपने मलयालम फिल्म ‘2018’ जरूर देखी होगी. केरल बाढ़ पर आधारित टोविनो थॉमस की इस फिल्म में त्रासदी और सर्वाइवल को बेहद प्रभावी तरीके से दिखाया गया था. ​अब इसी तरह का कुछ रोमांचक ड्रामा लेकर अक्षय कुमार की फिल्म ‘मिशन रानीगंज’ आई है. पूजा एंटरटेनमेंट के प्रोडक्‍शन में बनी इस फ‍िल्‍म में पश्चि‍म बंगाल में कोयले की एक खदान में 1989 में हुए हादसे को आधार बनाया गया है. सच्‍ची घटना पर आधारित इस फिल्म की कहानी, एक्टिंग, पिक्चराइजेशन और निर्देशन पर आइए, बात करते हैं…

कहानी: फिल्म की कहानी जसवंत सिंह गिल पर आधारित है, जो आईआईटी धनबाद के इंजीनियर थे. वेस्ट बंगाल में 1989 में रानीगंज कोयले की खदान में एक हादसा हुआ था, जिसमें 350 फीट नीचे कई मजदूर फंस गए थे. तब जसवंत ने दो दिन में 65 मजदूरों की जान बचाई थी. ‘कैप्सूल मैन’ कहे जाने वाले जसवंत के इसी महान काम को ‘मिशन रानीगंज’ में दिखाया गया है. फिल्म की शुरुआत जसवंत बने अक्षय और उनकी पत्नी निर्दोष कौर यानी परिणीति चोपड़ा के साथ शुरू होती है. एक दिन जसवंत को रानीगंज में हादसे की खबर मिलती है और फिर य​हीं से रोमांच का सफर शुरू होता है.

निर्देशन: कहानी का विषय ही ऐसा ही कि यदि इसे अच्छी तरह से प्रजेंट नहीं किया जाता तो इसकी आत्मा खत्म हो जाती. यहां निर्देशक टीनू सुरेश देसाई की तारीफ करनी होगी. देसाई ने फिल्म के पहले शॉट से लेकर क्लाइमैक्स तक पकड़ बनाए रखी है. भय, रोमांच, विश्वास को उन्होंने बखूबी दर्शाया है, जो दर्शकों को पूरे टाइम बांधे रखता है. फर्स्‍ट हाफ में चीजें ब‍िल्‍डअप करने से लेकर सेकंड हाफ में क्‍लाइमैक्‍स तक, कहानी कहीं भी रोमांच को ढीला नहीं पड़ने देती है.

Mission Raniganj

अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की जोड़ी ‘केसरी’ केे बाद दूसरी बार साथ नजर आई है.

एक्टिंग: कहानी के​ किरदारों के हिसाब से ढ़लने में अक्षय कुमार को महारत हासिल है. जसवंत सिंह गिल के तौर पर उन्होंने इस किरदार की आत्मा को पकड़ा है. ऐसी मुश्किल भरी सिचुएशन में विश्वास और सूझबूझ के साथ किस तरह उस दौर में असल जसवंत सिंह ने मोर्चा संभाला था, यह अक्षय ने बखूबी दिखाया है. व‍हीं कुमुद म‍िश्रा, रव‍ि क‍िशन जैसे एक्‍टर्स ने अपने-अपने क‍िरदार से कहानी को और भी दमदार बनाने का काम क‍िया है. फिल्म के केंद्र में वही हैं और वे किरदार के साथ न्याय करने में सफल भी रहे हैं. वहीं, मिसेज राघव चड्ढा यानी परिणीति चोपड़ा के पास करने के लिए कुछ खास नहीं था. खदान में फंसे सपोर्टिंग किरदारों ने भी उम्दा काम किया है.

कुल मिलाकर फिल्म 18 साल पहले कि उस दुनिया में ले जाती है, जब मजदूरों के सामने मौत थी और उनकी आस सिर्फ जसवंत सिंह गिल थे. अगर आप अच्छी कहानी और रोमांचक ड्रामे को पसंद करते हैं तो यह फिल्म आपके लिए है.

डिटेल्ड रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

Tags: Akshay kumar, Movie review, Parineeti chopra

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