सिर्फ 12 बार ही क्यों किया जाता है सूर्य नमस्कार, जाने इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण और महत्व

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भरत तिवारी/जबलपुर. सूर्य नमस्कार’ का मतलब भगवान सूर्य को नमस्कार करना है,अगर आप योग की शुरुआत कर रहे हैं और आपको योग के बारे में कुछ ज्ञान नहीं है तो इसके लिए ‘सूर्य नमस्कार’ का अभ्यास सबसे बेहतर है, यह आपको एक साथ 12 योगासनों का फायदा देता है और इसीलिए इसे सर्वश्रेष्ठ योगासन भी कहा जाता है. सूर्य नमस्कार के दौरान 12 बार भगवान सूर्य को 12 मुद्राओं में नमस्कार किया जाता है. जिसमें हर मुद्रा के दौरान अलग-अलग मित्रों का प्रयोग किया जाता है इस प्रकार हम कल 12 मित्रों के साथ 12 मुद्राओं में भगवान सूर्य को नमस्कार करते हैं. लेकिन क्या आपको पता है इस प्रक्रिया में 12 बार ही सूर्य को क्यों नमस्कार किया जाता है.

सूर्य नमस्कार को योगासन में सर्वश्रेष्ठ योगासन माना जाता है क्योंकि इसमें आपको 12 योगासनों का फायदा एक साथ मिलता है, इसके कई फायदे भी हैं अगर हम इसके वैज्ञानिक और शारीरिक तौर पर फायदे की बात करें तोह सूर्य नमस्कार के शारीरिक तौर पर कई फायदे हैं, यह आपको वजन घटाने में सहायता करता है, साथ ही आपकी पाचन शक्ति को काफी हद तक बढ़ाने में मदद करता है, साथ ही आपके शरीर में लचक बरकरार रखता है, रोजाना सूर्य नमस्कार करने से आपकी बॉडी का पोस्ट सही बना रहता है, आपके गर्दन दर्द, कमर दर्द और कंधों के दर्द जैसी बीमारियों से भी दूर रखता है.

12 बार ही क्यों किया जाता है सूर्य नमस्कार, जानिए आध्यात्मिक कारण
आप सूर्य नमस्कार करते तो जरूर हैं, आपको किसी न किसी ने यह जरूर बताया होगा कि सूर्य नमस्कार में 12 मुद्राओं में 12 योगासनों के साथ 12 मंत्रो के साथ सूर्य को नमस्कार किया जाता है. लेकिन क्या आपको कभी किसी ने यह बताया है कि इस प्रक्रिया में सिर्फ 12 बार ही सूर्य को नमस्कार क्यों किया जाता है, 13 बार क्यों नहीं किया जाता या 11 बार क्यों नहीं किया जाता, जब हमने पंडित ज्ञानेंद्र शास्त्री से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने बताया कि उसके पीछे काफी बड़ा आध्यात्मिक कारण जुड़ा हुआ है,

उन्होंने हमें बताया कि 33 कोटि देवताओं में द्वादश आदित्ययों का काफी बड़ा स्थान है कहते हैं सूर्य को ही द्वादश आदित्य कहा जाता है, और भगवान सूर्य के 12 रूपों को 12 मुद्राओं में नमस्कार किया जाता है, इसलिए सूर्य नमस्कार 12 बार किया जाता है, इसके अलावा पंडित जी का कहना है कि रशिया भी 12 होती है और हर राशि में एक-एक सूर्य का प्रवेश होता है जिससे हर महीने की संक्रांति परिवर्तित होती है और मौसम को लेकर परिवर्तन का भी यही कारण है, साथ ही वैज्ञानिक तौर पर शरीर के 12 अंगों में भी सूर्य का वास होता है इसके अलावा पौराणिक कथाओं में सूर्य भगवान को पृथ्वी का देवता भी माना गया है इसलिए 12 बार सूर्य नमस्कार किया जाता है.

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