हाइलाइट्स
शादी से पहले जेनेटिक टेस्ट जरूर कराएं, ताकि आपका बच्चा भी स्वस्थ जन्म ले.
लड़का-लड़की दोनों को ही फर्टिलिटी टेस्ट जरूर करानी चाहिए.
Medical Tests Before Marriage: शादियों का मौसम स्टार्ट हो चुका है. जिनके घरों में शादी होने वाली है, वहां इन दिनों चहल-पहल, शादी की तैयारियां जोर-शोर से हो रही होंगी. अक्सर शादी के पहले लोग लड़का-लड़की की कुंडली मिलाते हैं, ताकि शादीशुदा जिंदगी में कोई समस्या ना आए. प्यार सदा बना रहे, सुकून और खुशियों से भरी जिंदगी बीते. लेकिन लोग एक सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा भूल जाते हैं और वह है होने वाले दूल्हा-दुल्हन का मेडिकल टेस्ट कराना. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर मेडिकल टेस्ट क्यों जरूरी है? जब लड़का-लड़की बिल्कुल स्वस्थ हैं, कोई बीमारी नहीं तो फिर मेडिकल टेस्ट क्यों कराना? बेशक, आपका लड़का या लड़की बाहर से हेल्दी और फिट दिखे, लेकिन कई बार कुछ जेनेटिक डिजीज, प्रजनन संबंधित समस्याएं भी होती हैं, जिसे आप बाहर से देख कर पता नहीं लगा सकते हैं. ऐसे में एक हेल्दी और खुशहाल मैरिड लाइफ बिताना चाहते हैं तो कुछ जरूरी मेडिकल टेस्ट करा लेने में ही समझदारी होगी, ताकि भविष्य में न तो आपको और ना ही आपके बच्चे को कोई शारीरिक और मानसिक समस्या का शिकार होना पड़े.
कुंडली मिलाने के साथ मेडिकल टेस्ट को भी दें अहमियत
शादी के पहले अक्सर भारत में अधिकतर लोग कुंडली मिलान, घर-परिवार, नौकरी, धन-दौलत को अधिक महत्व देते हैं, लेकिन मेडिकल टेस्ट को भी नजरअंदाज करना सही नहीं. आप तभी तक हैप्पी मैरिड लाइफ जी सकते हैं, एक हेल्दी बच्चे को जन्म दे सकते हैं, जब तक की आप खुद स्वस्थ नहीं होंगे.
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शादी से पहले मेडिकल टेस्ट कराना क्यों जरूरी?
फोर्टिस हॉस्पिटल, (मुलुंड, मुंबई) में कंसल्टेन्ट फिजिशियन डॉ. मनीष इटोलिकर कहते हैं कि भविष्य में शादी की इच्छा रखने वाले हर युवक-युवती को शादी से पहले एक काउंसलिंग सेशन में जाना चाहिए. इस सेशन के जरिए उन्हें शादी के बाद सेहत को होने वाली परेशानियों के प्रति जागरूक करेगा. शादी से पहले के किसी भी काउंसलिंग सेशन का मुख्य लक्ष्य होता है कपल्स को उनकी सेहत का आधारभूत मूल्यांकन देना. इसके लिए संक्रामक बीमारियों की पहचान की जाती है और प्रजनन एवं आनुवांशिक रोगों का जोखिम भी कम किया जाता है. प्रीमैरिटल काउंसलिंग के लिए जाने से पहले कपल का अक्सर किसी हेल्थ केयर फैसिलिटी में शारीरिक परीक्षण और प्रयोगशाला जांच होती है. इन जांचों के उद्देश्य निम्नलिखित होते हैं:
- संभावित दुल्हन और दूल्हे के स्वास्थ्य की स्थिति को समझना.
- हेपेटाइटिस बी संक्रमण, एचआईवी, हेपेटाइटिस सी और दूसरे यौन संवहित रोगों जैसी संक्रामक बीमारियों का पता लगाना.
- अनुवांशिक रोगों के वाहकों की पहचान करना.
- जब कपल की ये सभी जांच होती हैं, तब वे समझ सकते हैं कि उन्हें किसी गंभीर बीमारी वाले बच्चे के जन्म का जोखिम तो नहीं है जैसे कि थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकल सेल डिजीज.
प्रीमैरिटल काउंसलिंग के दौरान किए जाने वाले कुछ मानक परीक्षण इस प्रकार हैं:
सामान्य जांच (General Test): डॉ. मनीष इटोलिकर कहते हैं सामान्य जांच में शारीरिक परीक्षण, कम्प्लीट ब्लड काउंट (सीबीसी), कम्प्लीट यूरिन एनालिसिस और पेरिफेरल ब्लड स्मीयर्स शामिल हैं. इससे सामान्य एवं असामान्य कोशिकाओं की जांच होती है. ब्लड ग्रुप टेस्टिंग (एबीओ-आरएच) महिलाओं में आरएच-निगेटिव का पता लगाने और उन्हें गर्भधारण के जोखिमों पर परामर्श देने के लिए जरूरी है.
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संक्रामक रोगों की जांच (Infectious Disease Testing) : यह जांच विभिन्न रोगों के लिए कपल का परीक्षण करती है, जैसे कि एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी और एसटीडी, क्योंकि यदि इनका इलाज न हो, तो गंभीर परिणाम हो सकते हैं जैसे कि बांझपन, फेटल वेस्टेज, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी, कैंसर और मौत.
अनुवांशिक परीक्षण (Genetic Testing) : पारिवारिक इतिहास और वंशावली (Genealogy) के आधार पर कपल्स के लिए विभिन्न जांचें होती हैं. ये चेकअप अरेंज मैरिज या सम्बंधों का परीक्षण खून या साझा वंशावली (shared ancestry) के द्वारा की जाती हैं, क्योंकि ऐसी शादियों से होने वाले बच्चे को पैतृक बीमारी (ancestral disease) मिलने की संभावना ज्यादा होती है. सम्बंध जितना करीबी होगा, जोखिम उतना ही अधिक होगा. अनुवांशिक परीक्षणों के लिए खून या शरीर के ऊत्तकों के छोटे नमूनों का विश्लेषण किया जाता है.
ये टेस्ट भी जरूर करा लें
आप प्रजनन क्षमता (Fertility Test), स्थायी बीमारी और मानसिक स्वास्थ्य की जांच भी जरूर कराएं. यदि आप शादी करने की योजना बना रहे हैं तो हर कपल को प्रीमैरिटल स्क्रीनिंग करवानी चाहिए, क्योंकि इससे कई रोगों और विकृत स्थितियों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाने से रोकने में मदद मिल सकती है.
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Tags: Couple, Health, Lifestyle, Relationship
FIRST PUBLISHED : November 27, 2023, 11:09 IST