2 महीने इस फल की खेती कर किसान हो जाते हैं मालामाल, शुगर मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद

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दिलीप कुमार, कैमूर: किसान अब परंपरागत खेती को छोड़कर बागवानी की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. इससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा तो होता हीं है. साथ हीं किसानों का समय भी बच जाता है. इसी तरह कैमूर के कुछ हिस्सों में किसान पानी फल सिंघाड़े की खेती करने में मशगूल हैं. सिंघाड़े की खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इसमें मेहनत तो थोड़ा ज्यादा है, लेकिन मुनाफा पारंपरिक फसलों की मुकाबले कहीं ज्यादा है.

कैमूर जिला अंतर्गत भगवानपुर प्रखंड स्थित रामगढ़ के रहने वाले किसान बीरबल चौधरी बेतरी गांव के पास भभुआ-चैनपुर मुख्य मार्ग के किनारे सिंघाड़ा की खेती किए हुए हैं. किसान बीरबल के मुताबिक एक एकड़ में करीब 1 लाख तक की बचत हो जाती है. बड़ी बात यह है कि यह खेती महज दो महीने की होती है.

40 रुपए प्रति किलो बिक रहा है पानी फल सिंघाड़ा
बीरबल ने बताया कि जमीन ठेके पर लेकर पारंपरिक फसल के बजाय सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं. सिंघाड़े की खेती में थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन इससे आमदनी ज्यादा होती है. इलाके के किसान सिंघाड़े की खेती से बेहतर उत्पादन कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. किसान बीरबल ने बताया कि सड़क किनारे खेती करने से दोहरा फायदा मिल रहा है.

दोहरा फायदा इसलिए कि इस फल को बेचने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है जिसे ढुलाई में लगने वाले रुपए की बचत हो जाती है. यहां सड़क किनारे ही सिंघाड़ा बेच लेते हैं. 30 से 40 किलो सिंघाड़ा रोजाना सड़क किनारे हीं बिक जाता है. उन्होंने बताया कि सीजन में लगभग 2 क्विंटल सिंघाड़ा की बिक्री हो जाएगी. अभी फिलहाल 40 रुपए प्रति किलो सिंघाड़ा बिक रहा है. वहीं सिंघाड़ा की खेती करने में चार लोग लगते हैं.

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कृषि वैज्ञानिक ने नर्सरी में पौधे तैयार करने की सलाह
कृषि वैज्ञानिक मनीष कुमार ने बताया कि सिंघाड़ा एक जलीय फल है, जो तालाब या झील में फलता है. इसका स्वाद भी मीठा होता है. खास बात यह है कि पानी फल सिंघाड़ा शुगर फ्री होता है. किसानों को इसकी सीधी बुआई ना करके नर्सरी में पौधे तैयार करने की सलाह दी जाती है.

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इसके लिए सबसे पहले सिंघाड़े के पौधे नर्सरी में तैयार किए जाते हैं. जब पौधों की लंबाई 300 मी.मी. हो जाता है तो इसकी रोपाई तालाब में कर दी जाती है. पौधा लगाने के डेढ़ से दो महीने बाद सिंघाड़े के पौधे में फलन शुरू हो जाता है.

Tags: Bihar News, Kaimur, Local18

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