औषधीय गुणों की खान है ये पहाड़ी फल, डायबिटीज-हार्ट की बीमारी का पक्‍का इलाज! BP भी करेगा कंट्रोल

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हिमांशु जोशी/ पिथौरागढ़. उत्तराखंड में एक खास पहाड़ी पाया जाता है. यह फल कुमाऊंनी में घिंगारु, गढ़वाली में घिंघरु और नेपाली में घंगारु के नाम से मशहूर है. छोटे-छोटे लाल सेब जैसे दिखने वाले घिंघरु के फलों को हिमालयन रेड बेरी, फायर थोर्न एप्पल या व्हाइट थोर्न भी कहते हैं. इसका वानस्पतिक नाम पैइराकैंथा क्रेनुलाटा है, जो कि पहाड़ों में खूब पाया जाता है. इसे अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन घिंगारु का पौधा चमत्कारी गुणों से भरपूर है.

दिल्ली के विज्ञान शोध परिषद विश्वविद्यालय द्वारा किए गए शोध में यह पता चला था कि दर्द निवारक दवा बनाने में घिंगारु का पौधा मददगार साबित हो सकता है. वहीं, पिथौरागढ़ के वरिष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर मनोज जोशी के मुताबिक, यह एक औषधीय पौधा है, जिसकी जड़ से लेकर फल, फूल, पत्तियां और टहनियां सभी हमारे लिए उपयोगी हैं. जबकि पहाड़ों में स्कूली बच्चे और गांव में जंगल जाने वाली महिलाएं इसे बड़े चाव से खाती हैं. घिंगारु के फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ खूनी दस्त का उपचार किया जाता है. इन फलों में पर्याप्त मात्रा में शुगर भी पाई जाती है, जो शरीर को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है. इसके अलावा इसकी टहनी का प्रयोग दातून के रूप में भी किया जाता है, जिससे दांत दर्द से निजात मिलती है. इसके साथ घिंगारु में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है.

बता दें कि घिंगारु के छोटे-छोटे फल गुच्छों में लगे होते हैं. यह फल अगस्त और सितंबर में पकने पर नारंगी या फिर गहरे लाल रंग के हो जाते हैं. यह हल्के खट्टे, कसैले और स्वाद में कुछ मीठे होते हैं. इसका पौधा मध्यम आकार का होता है. इसकी शाखाएं कांटेदार और पत्ते गहरे रंग के होते हैं. यह पौधा 500 से 2700 मीटर की ऊंचाई वाले पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है.

घिंगारु के चमत्कारी फायदे
वरिष्ठ आयुर्वेद डॉक्टर मनोज जोशी ने बताया कि डायबिटीज में फायदेमंद पहाड़ी सेब के नाम से जाना जाने वाला फल घिंगारु सेहत के लिए रामबाण फल माना जाता है. इस पेड़ के फल और पत्तियों में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इन्फलेमेट्री गुण होने की वजह से यह हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और मधुमेह रोगों को ठीक करने में मदद कर सकता है. साथ ही बताया कि कई पोषक तत्वों से भरपूर घिंगारु खूनी दस्त रोकने में बेहद असरदार माना जाता है. यदि आप खूनी दस्त से परेशान हैं, तो इसके फलों का सेवन करना लाभकारी हो सकता है. इसके लिए फलों को सुखाकर चूर्ण बनाकर दही के साथ सेवन करें. ऐसा करने से आपको खूनी दस्त से बहुत ही जल्दी निजात मिल जाएगी.

दांत दर्द में भी लाभकारी
डॉक्टर जोशी ने बताया कि घिंगारु के पेड़ की टहनी सबसे ज्यादा दातून के रूप में उपयोग की जाती है. इस दातून को नियमित करने से दांतों में चमक आने के साथ ही मसूड़ों में दर्द से भी राहत मिलती है. पहाड़ी क्षेत्र के ज्यादातर लोग सुबह इसका ही सेवन करते हैं. यह फल प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है. ऐसे में सेहत को हेल्दी रखने के लिए इस फल का सेवन जरूर करना चाहिए. वहीं, घिंगारु के औषधीय गुण शरीर से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल की मात्रा को कम करने में भी मदद करते हैं. उन्होंने कहा कि घिंगारु के फल में मौजूद बायोफ्लोनोइड्स हृदय में रक्त संचार को संतुलित करता है. यह रक्त वाहिकाओं को नष्ट होने से भी बचाता है. इसके अलावा यह मस्तिष्क में भी रक्त के प्रवाह को सुचारू करने में सक्षम है, जिसके याददाश्त बढ़ती है. (नोट: इस खबर में दी गई जानकारी तथ्यों पर आधारित है. लोकल 18 इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

Tags: Cholesterol, Diabetes, Health News, Heart Disease, Local18

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