SEHAT KI BAAT: बीते दिनों दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके से एक मामला सामने आया. करीब 64 वर्षीय जयंत सिंह ने अपने परिवार के साथ रात का खाना खाया. परिवार के साथ बैठकर काफी देर तक चर्चा की और सोने चले गए. सुबह करीब चार बजे वह बाथरूम गए और अचानक न जाने क्या हुआ, वह वहीं गिर पड़े और उनकी वहीं पर मौत हो गई. जयंत सिंह का यह इकलौता मामला नहीं, बल्कि सर्दियों में मौसम में हमें लगातार ऐसे मामले सुनने को मिल जाते हैं. ऐसे में, बड़ा सवाल यह है कि क्या है बाथरूम में होने वाली डेथ का रहस्य? क्या इसका सर्दियों से भी कोई रिश्ता है?
राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के न्यूरोसर्जरी डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी के अनुसार, हां बाथरूम में होने वाली सड़न डेथ (अचानक मौत) का सर्दियों से रिश्ता है. दरअसल, बाथरूम में होने वाली अचालक मौत की मुख्य वजह है ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट स्ट्रोक. ऐसा नहीं है कि गर्मियों में ब्रेन स्ट्रोक या हार्ट स्ट्रोक के मामले नहीं आते हैं, लेकिन सर्दियों में स्ट्रोक के मामलों में करीब डेढ़ से दो गुना तक की बढ़ोत्तरी देखी जाती है. दरअसल, मौसम बदलने के साथ, ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर तेजी से प्रभावी हो जाते है. वहीं, इन रिस्क फैक्टर के प्रति लापरवाह नजरिया रखने वाले अक्सर हादसे का शिकार बन जाते हैं.
ब्रेन स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर
डॉ. अजय चौधरी ने अनुसार, ब्रेन स्ट्रोक के दो बड़े कारण हैं, पहला – ब्लड प्रेशन और दूसरा – हाइपरलिपिडेमिया. दरअसल, सर्दियों की दस्तक के साथ मानव शरीर के ब्लड प्रेशर में तेजी से बदलाव आना शुरू हो जाता है. यह बदलाव तड़के (Early Morning) सर्वाधिक होता है. ऐसे में, जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की शिकायत रहती है, उन्हें खास तौर पर इस बात के लिए सतर्क रहना चाहिए. अक्सर देखा गया है कि अपने बीपी के प्रति लापरवाह लोगों जैसे ही अपनी रजाई या कंबल से बाहर निकल कर बाथरूम जाते हैं, उनका बीपी तेजी से बढ़ता है, दिमाग की नसें फटने की वजह से उनकी वहीं मौत हो जाती है.
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क्या है हाइपरलिपिडेमिया?
डॉ. अजय चौधरी ने अनुसार, हमारे खून में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं; पहला – अच्छा कोलेस्ट्रॉल, जिसे हम, एचडीएल (HDL) कहते हैं. दूसरा है – बुरा कोलेस्ट्रॉल, जिसे हम एलडीएल ( LDL) कहते हैं. जब खून में एलडीएल की मात्रा बढ़ जाती है, ऐसी स्थिति को हाइपरलिमिडेमिया कहते हैं. हाइपरलिमिडेमिया की स्थिति में कोलेस्ट्रॉल के साथ अन्य फैटी पदार्थ खून की नलियों में जमा होना शुरू हो जाते हैं. खून की नलियों में जमा होने वाले पदार्थ को प्लाक कहते हैं. इन्हीं प्लाक की वजह से मस्तिष्क या हार्ट की कोशिकाओं में खून का प्रवाह बाधिक हो जाता है, जो हादसे की वजह बन जाता है.
किसको है सर्वाधिक खतरा?
डॉ. अजय चौधरी ने अनुसार, ब्लड प्रेशर के मरीजों के साथ साथ ब्रेन स्ट्रोक का खतरा डायबिटीज के मरीजों को भी बहुत अधिक होता है. इसके अलावा, स्मोकिंग भी ब्रेन स्ट्रोक के लिए बड़ा रिस्क फैक्टर माना जाता है.
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FIRST PUBLISHED : December 4, 2023, 12:43 IST