आदित्य आनंद/गोड्डा. खजूर के पेड़ की ताड़ी के बारे में तो आपने सुना ही होगा. कई लोग इसे दवा तो कुछ इसे नशे के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन आपने नीम की ताड़ी के बारे में शायद ही सुना हो. क्योंकि नीम की ताड़ी, नीम के सभी पेड़ों से नहीं मिलती. जानकार बताते हैं कि नीम की ताड़ी सिर्फ उन्हीं पेड़ से मिलती है, जो कम से कम 100 वर्ष पुराने हों और ये आपने आप निकलती है, तभी इसे एकत्र कर सकते हैं.
शहर में तो नीम के इतने पुराने पेड़ मिलना अब मुश्किल है, लेकिन गांवों में आज भी नीम के सैकड़ों वर्ष पुराने पेड़ मिल जाते हैं. गोड्डा के ग्रामीण क्षेत्र में भी ऐसे ही पुराने नीम के पेड़ों से ताड़ी निकाली जाती है. यह ताड़ी आयुर्वेद में रामबाण औषधि मानी गई है, जिससे कई गंभीर बीमारियों का इलाज संभव है. जैसे मधुमेय, चर्मरोग, खून साफ करने, पाचन क्रिया को मजबूत करने, थकान से राहत पाने, खांसी दूर करने के अलावा कई बड़े रोगों को दूर करने में नीम की ताड़ी सक्षम है.
300 रुपये लीटर में बिक्री
गोड्डा के महागामा बाजार में बसंतराय से नीम की ताड़ी बचने के लिए आए मोहम्मद जालिम ने बताया कि उनके गांव में सैकड़ों वर्ष पुराने नीम के पेड़ से यह ताड़ी खुद ब खुद फटकर निकली है. जिसे वह बाजार में बेचने ले आए हैं. इसे वह 300 रुपए प्रति लीटर की दर से बेचते हैं. बताया कि यह नीम का ताड़ी कम से कम 6 महीने तक लोग इस्तेमाल कर सकते हैं, ये खराब नहीं होती. वहीं जो इस ताड़ी के फायदे जानते हैं, वह इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल करते हैं.
खून को साफ रखने में कारगर
वहीं, गोड्डा के आयुर्वेदिक डॉक्टर नवीन कुमार भारती ने बताया कि नीम हर प्रकार से फायदेमंद होता है और इसलिए नीम की ताड़ी भी काफी फायदेमंद है. पुराने जमाने के लोग इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल करते थे. कई लोग बिना बीमारी के भी स्वस्थ रहने के लिए इसका इस्तेमाल आज भी करते हैं जो विशेष कर शरीर के खून को साफ करने के लिए उपयोगी होता है.
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FIRST PUBLISHED : December 10, 2023, 07:01 IST