Latent TB infection: अगर आपसे कहा जाए कि आपके फेफड़ों में टीबी संक्रमण है तो शायद आप यकीन नहीं करेंगे और ये कहेंगे कि आपको तो खांसी नहीं है या ऐसा कोई लक्षण ही नहीं है क्योंकि ट्यूबरक्यूलोसिस ऐसी बीमारी है, जिसका सबसे पहला लक्षण ही है खांसना. लेकिन आपको बता दें कि टीबी दो तरह की होती है. एक एक्टिव और दूसरी लेटेंट. दूसरी वाली में मरीज के अंदर कोई लक्षण नहीं दिखाई देता और न ही उसे पता होता है कि उसके अंदर टीबी मौजूद है. इसे गुप्त तपेदिक या सुप्त अवस्था वाला क्षय रोग भी कहते हैं.
यह इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार भारत में लेटेंट टीबी का प्रिवलेंस रेट बहुत हाई है. यहां की कुल आबादी के 40 फीसदी में लेटेंट टीबी पाई जाती है. लेटेंट टीबी इन्फेक्शन का रिजर्वोयर भारत से टीबी खत्म नहीं होने देगा. डब्ल्यूएचओ कहता है कि अगर एक्टिव टीबी को खत्म करना है तो सबसे पहले लेटेंट टीबी को खत्म करना पड़ेगा. अगर लेटेंट टीबी खत्म नहीं हुई तो वह कभी भी एक्टिव हो सकती है और टीबी का आउटब्रेक हो सकता है.
हालांकि टीबी चाहे एक्टिव हो या लेटेंट इससे लोग इसलिए भी घबराते हैं क्योंकि इस बीमारी को ठीक करने के लिए कम से कम 6 और ज्यादा से ज्यादा 9 महीने तक कड़वी गोलियां खानी पड़ती हैं लेकिन अब आपके लिए अच्छी खबर है. आयुर्वेद में लेटेंट टीबी का रामबाण इलाज मिल गया है.
नई दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद में निदेशक प्रो. तनुजा नेसरी के निर्देशन में लेटेंट टीबी इंफेक्शन के लिए स्पेशल टीबी केंद्र खोला गया है, जहां रोजाना 35-40 मरीजों का इलाज किया जा रहा है. खास बात है कि यहां लेटेंट टीबी के मरीज सिर्फ 1 महीने की दवा खाकर पूरी तरह दुरुस्त हो रहे हैं. सबसे पहले जानते हैं इस बीमारी के बारे में..
क्या होती है लेटेंट टीबी..
एआईआईए के टीबी केंद्र को चला रहीं रेस्पिरेटरी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ दिव्या काजरिया बताती हैं कि गुप्त क्षय रोग या लेटेंट टीबी ऐसी स्थिति होती है जब मरीज टीबी पैदा करने वाले बैक्टीरिया से तो संक्रमित होता है लेकिन व बैक्टीरिया या तो निष्क्रिय होता है या सोया हुआ होता है. ऐसी स्थिति में मरीज में टीबी का कोई लक्षण नहीं दिखाई देता लेकिन वह टीबी बैक्टीरिया की जद में होता है और कभी भी बीमार पड़ सकता है. भारत में इस टीबी की प्रिवलेंस बहुत ज्यादा है.
कैसे पहचानते हैं लेटेंट टीबी है?
डॉ. दिव्या कहती हैं कि गुप्त टीबी की पहचान करना सबसे ज्यादा कठिन और चैलेंजिंग है. बिना लक्षण के आखिर बीमारी कैसे पहचानी जाए, तो बता दें कि इसके लिए 4 तरीक हैं..
. गुप्त टीबी के लिए मास स्क्रीनिंग की जाती है, जिसमें सामान्य लोगों की कुछ जांचें की जाती हैं, जिसमें टीबी के बैक्टीरिया का पता चलता है.
. अगर कोई व्यक्ति टीबी मरीज के पास रह रहा है, परिवार में कोई टीबी का मरीज है, टीबी के मरीजों के आसपास वाले क्षेत्र में रह रहे हैं, तो उनमें लेटेंट टीबी पाए जाने के चांस हाई होते हैं.
. सुधार गृह या जेल आदि में रहने वाले लोगों में लेटेंट टीबी मिल सकती है.
. अगर किसी को पहले टीबी रही है और वह ठीक हो गया है. उसमें भी फिर से टीबी का बैक्टीरिया एक्टिव हो सकता है.
आयुर्वेद में है बेहतर इलाज..
डॉ. दिव्या बताती हैं कि आयुर्वेद में लेटेंट टीबी इन्फेक्शन का बेहतर इलाज मौजूद है. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त परियोजना में आयुष मंत्रालय के तहत ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद दिल्ली में मार्च 2023 से सुप्त टीबी का इलाज शुरू हुआ है. आयुर्वेदिक दवाओं से अभी तक 200 से ज्यादा लेटेंट टीबी के मरीज पूरी तरह ठीक हो चुके हैं. यह एक बड़ी संख्या है. वहीं रोजाना आने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है.
दिव्या कहती हैं कि खुशी की बात है कि आयुर्वेद में लेटेंट टीबी के अधिकांश मरीज सिर्फ 1 महीने के इलाज में ठीक हो रहे हैं. हालांकि इस दौरान मरीजों को खासतौर पर दवा लगातार लेने और बीच में न छोड़ने के लिए काउंसलिंग की जाती है.
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FIRST PUBLISHED : December 12, 2023, 19:05 IST