अब जल्द बन सकती है फैटी लिवर की दवा, SGPGI में चूहों पर हुए शोध में डॉक्टरों को मिली सफलता

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ऋषभ चौरसिया/लखनऊ:फैटी लिवर वाली समस्या आमतौर पर अधिक शराब पीने वाले लोगों में देखी जाती है, लेकिन यह अब वे लोग भी झेल रहे हैं जो शराब नहीं पीते हैं. यह समस्या तब होती है जब शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा हो जाती है. जिससे लिवर को नुकसान होता है और वह फैटी हो जाता है. इससे लिवर की कार्यक्षमता कम हो जाती है और यह विभिन्न समस्याएं जैसे कि लिवर फाइब्रोसिस और सिरोसिस का कारण बन सकता है.

भारत में इस समस्या के इलाज के लिए दवा अभी तक उपलब्ध नहीं है.जिसके कारण इस समस्या का पूरी तरह से निदान करना मुश्किल होता है.हालांकि,भारत में जल्द ही इस दवा का निर्माण शुरू हो सकता है.इसके लिए लखनऊ के संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में शोध चल रहा है.इस शोध में संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने चूहों पर प्रयोग किया है और सफलता मिली है.इस शोध में उन्होंने उस एंजाइम का पता लगाया है जिससे फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है.यह जानकारी संस्थान के एंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉ. रोहित सिन्हा ने संस्थान में बुधवार को चतुर्थ शोध दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में लोकल 18 के साथ साझा की है.अब मानव शरीर पर इस एंजाइम के प्रयोग की तैयारी की जा रही है.

करीब 30 प्रतिशत लोग समस्या से प्रभावित

डॉ. रोहित सिन्हा ने बताया कि नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या बढ़ रही है.करीब 30 प्रतिशत लोग नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की समस्या से प्रभावित है.इस समस्या से ग्रस्त लोगों में मधुमेह और कोलेस्ट्राल की भी समस्या होती है.इसके अलावा, फैटी लिवर की समस्या से जूझने वाले लोग बाद में गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं. डॉ. सिन्हा ने बताया कि फैटी लिवर में सूजन बने रहने से यह समस्या फाइब्रोसिस में तब्दील हो जाती है, जिससे लिवर को नुकसान होता है.

मानव शरीर पर शोध किया जाएगा

इस समस्या के लिए अभी तक कोई दवा उपलब्ध नहीं है, लेकिन आने वाले समय में इसकी दवा बनाई जा सकती है.उन्होंने बताया कि एक नया एंजाइम खोजा गया है, जिससे फैटी लिवर को ठीक किया जा सकता है,और इसका मानव शरीर पर शोध किया जाएगा.पहले चरण में चूहों पर किया गया शोध सफल रहा है.इस शोध में शोधार्थी अर्चना तिवारी ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

एंजाइम आरएनएएसई -1 (RNASE-1)

डॉ. रोहित सिन्हा के अनुसार, लिवर में एक्सट्रासेल्युलर आरएनए नामक एक मालिक्यूल होता है.यह मालिक्यूल लिवर इंजरी के समय लिवर से बाहर निकलता है और लिवर में सूजन बढ़ाता है, जिससे लिवर फाइब्रोसिस होता है.हमने इसे रोकने के लिए एंजाइम आरएनएएसई-1 (RNASE-1) की खोज की है, और जब हमने इसे चूहों पर परीक्षण किया, तो हमें बेहतर परिणाम मिले हैं।

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर

डॉ. रोहित सिन्हा ने बताया कि नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज जीवन शैली से जुड़ी बीमारी है.यह बीमारी उन लोगों को भी हो सकती है जो शराब का सेवन नहीं करते है.इस बीमारी में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है, जिससे लिवर को नुकसान होता है, लिवर में सूजन आती है, और फाइब्रोसिस का कारण बनती है.अगर समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह बीमारी लिवर सिरोसिस का कारण भी बन सकती है.

Tags: Health News, Hindi news, Local18, UP news

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