सावधान! कहीं आप के बच्चे को भी तो नहीं लग गई है मोबाइल की लत, करें ये काम, नहीं तो हो सकता है खतरनाक

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अनूप पासवान/कोरबाः क्या आपके घर में उतने ही फोन हैं, जितने कि आपके घर के सदस्यों की संख्या? आपका जवाब होगा ‘हां’. लेकिन मैं एक बात दावे के साथ कह रहा हूं कि अगर आपके घर में 5 साल से कम उम्र का कोई बच्चा होगा, तो उसके पास स्मार्टफोन नहीं होगा. अब आप सोचते होंगे कि ये कैसी बात है. 5 साल से कम उम्र के बच्चे को कौन ही स्मार्टफोन दिलाएगा. यह बात बिल्कुल सच है, बच्चों को हम स्मार्टफोन खरीद कर नहीं देते. लेकिन जब वह बच्चा आपकी गोद में लेटकर आपको पहचाने और दुनिया को समझने की कोशिश कर रहा होता है, तब हम कोई फनी, क्यूट सा वीडियो उसकी आंखों के सामने जरूर टिका देते हैं. कई बार मां अपने बच्चे की शैतानियों से तंग आकर उसे अपना फोन पकड़ा देती हैं कि कुछ देर की शांति मिलेगी. ये कितना खतरनाक हो सकता है, इसको लेकर लोकल 18 ने मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर नीलिमा महापात्रा से बातचीत की, आइये जानते हैं.

मनोरोग विशेषज्ञ नीलिमा महापात्रा ने बताया कि बच्चों में मोबाइल और इंटरनेट पर अधिक समय बिताने की वजह से उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ रहा है. कम उम्र में ऑनलाइन गैंबलिंग, चिढ़चिढ़ेपन के शिकार हो रहे हैं. इनका चिकित्सकीय इलाज संभव है. उन्होंने बताया कि कई किशोर व युवाओं का काउंसलिंग कर दवाइयों और थेरेपी से इलाज किया जाता है. ऐसे में बच्चों के हाथ में मोबाइल देने पर निगरानी करना जरूरी है.

फोन का ज्यादा इस्तेमाल न करें
वहीं, नीलिमा महापात्रा ने बताया कि अगर बच्चा दिनभर में 2 घंटे से ज्यादा फोन इस्तेमाल कर रहा है, तो उसे लत लगने की संभावना है. इसलिए पेरेंट्स इस बात का ख्याल रखें, कि बच्चों को जरूरत से ज्यादा फोन का इस्तेमाल न करने दे. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि इन दिनों इंटरनेट के माध्यम से कुछ अतरंगी चीज फोन की डिस्प्ले पर सामने आ जाती हैं. जिसे बच्चे देखकर कुछ समझ नहीं पाते और उन्हें उसे जाने की इच्छा बढ़ जाती है और ऐसे में बच्चे गलत राह पकड़ लेते है. इसलिए फोन देने पर बच्चों की निगरानी करना भी बेहद जरूरी है.

पागलपन के दौरे पड़ने लगते हैं
विशेषज्ञ ने आगे बताया कि फोन की लत लगने के बाद बच्चा मानसिक बीमारी से ग्रसित हो जाता है और उसे पागलपन के दौरे पड़ने लगते हैं. बच्चा मोबाइल गेमिंग खेलते-खेलते असली दुनिया से अपना संबंध खत्म कर वर्चुअल दुनिया को अपना समझने लगता है और गेम में जिस प्रकार के किरदार होते हैं. उन्हें वह अपना दोस्त समझने लगते है. ऐसे में बच्चे गेम की किरदार की तरह हरकत करने लगते हैं. अगर बच्चों को पागलपन का दौरा और बच्चों कार्टून की तरह करें तो इसे तुरंत किसी भी साइकैटरिस्ट या मनोरोग विशेषज्ञ से एक बार जरूर परामर्श करें.

(नोटः यहां दी गई जानकारी सिर्फ मनोरोग चिकित्सक से बातचीत पर आधारित है. इन सभी तथ्यों की न्यूज 18 पुष्टि नहीं करता है.)

Tags: Health, Korba news, Local18, Rajasthan news

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