प्रीमेच्योर बेबी के लिए वरदान साबित हो सकता है कंगारू मदर केयर, सेहत को मिलेंगे अनगिनत फायदे, जानें क्या है यह तरीका

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हाइलाइट्स

कंगारू केयर में नवजात बच्चों को मां की स्किन के कॉन्टेक्ट में रखा जाता है.
कंगारू मदर केयर तकनीक से प्रीमेच्योर बच्चों की जान बचाई जा सकती है.

Health Benefits of Kangaroo Care: दुनियाभर में हर साल करोड़ों की संख्या में बच्चे पैदा होते हैं, जिनमें से तमाम बच्चे प्रीमेच्योर पैदा हो जाते हैं. जो बच्चे समय से पहले पैदा होते हैं, उन्हें प्रीमेच्योर बेबी कहा जाता है. प्रीमेच्योर बेबी की मृत्यु दर ज्यादा होती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की एक रिपोर्ट के अनुसार साल 2020 में विश्व में 13.4 मिलियन यानी 1.34 करोड़ प्रीमेच्योर बच्चे पैदा हुए, जिनमें से करीब 10 लाख शिशुओं की मौत हो गई. जिन बच्चों का जन्म समय से पहले होता है, उन्हें हेल्थ से रिलेटेड कई कॉम्प्लिकेशन झेलनी पड़ती हैं. इनका विकास भी धीमा होता है. ऐसे बच्चों की जान बचाने और इनकी सेहत को सुधारने के लिए एक नया तरीका तेजी से बढ़ रहा है, जिसे कंगारू मदर केयर कहा जा रहा है. डॉक्टर्स से इस बारे में जरूरी बातें जान लेते हैं.

नई दिल्ली के फोर्टिस ला फेम हॉस्पिटल के नियोनेटोलॉजी डिपार्टमेंट के सीनियर डायरेक्टर डॉ. रघुराम मल्लैया के मुताबिक कंगारू मदर केयर (KMC) कई प्रकार की परेशानियों से निजात पाने का प्राकृतिक उपचार है. इस प्रक्रिया में शिशु को मां की छाती से लगाकर रखने की सलाह दी जाती है. इससे मां और शिशु के बीच स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट बना रहता है. डॉक्टर इस तकनीक की मदद से शिशु का बेहतर इलाज करते हैं. गर्भावस्था के बाद महिलाओं को इस प्रक्रिया से शिशु की देखभाल करने की सलाह दी जाती है. कंगारू मदर केयर प्रीमेच्योर शिशुओं के लिए बेहद लाभकारी है. इस तकनीक को समय से पहले जन्मे नवजात शिशुओं के लिए अपर्याप्त इनक्यूबेटर देखभाल के विकल्प के रूप में विकसित किया गया था. इसमें मदर और शिशु दोनों को लाभ मिलता है.

जानें कंगारू केयर के बड़े फायदे

लखनऊ के मेदांता हॉस्पिटल के पीडियाट्रिक्स डिपार्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. आकाश पंडिता के अनुसार कंगारू मदर केयर से मां और बच्चे दोनों की सेहत को गजब के फायदे मिल सकते हैं. इसमें बच्चा अपनी मां के स्किन टू स्किन कॉन्टेक्ट में होता है और इससे बच्चे का तापमान, उसकी हृदय गति और श्वसन दर सही बनी रहती है. यह मां को पोस्टपार्टम डिप्रेशन से निकलने में भी मदद करता है.इससे ब्रेस्टफीडिंग में परेशानी नहीं आती है और इससे बच्चे को संक्रमण का खतरा भी कम हो जाता है. आमतौर पर कंगारू केयर का टाइम जितना ज्यादा होगा, उतना अच्छा होगा. हालांकि हर सेशन कम से कम 1 घंटे तक चलना चाहिए. अगर यह अवधि कम रहेगी तो इससे बच्चे के लिए तनाव बढ़ सकता है. इससे फायदा होने की जगह नुकसान हो सकता है. कंगारू केयर से नवजात की मृत्यु दर घट सकती है.

WHO भी देता है कंगारू केयर का सुझाव

लखनऊ के अपोलोमेडिक्स स्पेशलिटी हॉस्पिटल की प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. नेहा नेगी कहती हैं कि कंगारू मदर केयर में मां और शिशु का स्किन टू स्किन कॉन्टैक्ट होता है. यह मां और शिशु के बीच एक मानसिक और शारिरिक बॉन्डिंग होती है, जो शिशु के विकास को बढ़ावा देता है और उसे स्वस्थ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन (WHO) ने प्रीटर्म डेलिवरी के कारण जन्मे इम्मेच्योर बेबी के लिए कंगारू मदर केयर का सुझाव दिया है. कंगारू मदर केयर के बहुत से फायदे होते हैं. शिशु के जन्म के तुरंत बाद इसकी मदद से शिशु का इलाज किया जाता है. अब तक केएमसी केवल अंडरवेट या प्रीमेच्योर बच्चे को कुछ दिन तक इंक्यूबेटर में रखने के बाद ही दिया जाता है. अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद भी लंबे समय तक शिशु को फॉलओप के लिए डॉक्टर बुलाते हैं, जिससे उनका स्वास्थ ठीक रहे सके.

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Tags: Child Care, Health, Lifestyle, Pregnant woman

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