मल्टीविटामिन है ये औषधि… रोज करें सेवन, छोटी-मोटी बीमारियां छू नहीं पाएंगी, बुढ़ापा रहेगा दूर!

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दीपक पाण्डेय/खरगोन. सेहत के लिए आयुर्वेद किसी खजाने से कम नहीं है. प्राचीन काल में वैद्य लोगों के उपचार के लिए आयुर्वेदिक औषधियों का ही उपयोग करते थे. आज भी कई गंभीर बीमारियों को जड़ से खत्म करने में आयुर्वेदिक औषधियां कारगर सिद्ध होती हैं. अश्वगंधा भी उन्हीं में से एक औषधीय मानी जाती है.

अश्वगंधा एक रसायन युक्त औषधीय है. यह हर मर्ज की दवा मानी जाती है. बता दें कि जितनी भी रसायन औषधि होती हैं, वे व्याधि, जरा और उम्र को कम करती हैं. ठंडे प्रदेशों को छोड़कर अन्य सभी भागों में अश्वगंधा पाया जाता है. मध्य प्रदेश के भी कई जिलों में इसकी खेती होती है. बाजार में दुकानों पर आसानी से उपलब्ध है.

दूध या शहद के साथ लें
आयुर्वेद चिकित्सालय खरगोन में पदस्थ आयुर्वेद के विशेषज्ञ डॉ. संतोष कुमार मौर्य ने बताया कि अश्वगंधा आयुर्वेद की काफी प्रचलित और गुणकारी औषधि है. इसकी जड़ का पाउडर बनाया जाता है. जिसे दूध और शहद के साथ ले सकते हैं. इसे दूध की खीर में मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं. रसायन औषधि होने से यह किसी भी तरह के रोग को दूर करने और बुढ़ापे की रोकथाम के लिए काफी फायदेमंद है.

इन बीमारियों के लिए रामबाण
अश्वगंधा में सभी तरह के विटामिन पाए जाते हैं. इसे मल्टीविटामिन औषधि भी कहते हैं. कई तरह की बीमारियों के उपचार में उपयोगी है. इसका सेवन करने से समय पहले बुढ़ापा नहीं आता. जोड़ों में दर्द, बदन में दर्द, खांसी-जुकाम, कमजोरी जैसी अन्य बीमारियों में भी उपयोगी है.

कितनी मात्रा में करें सेवन
डॉ. संतोष कुमार मौर्य ने बताया कि तीन से पांच ग्राम मात्रा में अश्वगंधा के पाउडर को दूध में घोलकर या फिर खीर बनाकर रोजाना सेवन करें. महिला, पुरुष, बुजुर्ग एवं बच्चे सभी उम्र के लोग इसका सेवन कर सकते हैं. छोटे बच्चे एक ग्राम पाउडर का सेवन करें.

Tags: Health tips, Local18, Mp news

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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