हाइलाइट्स
कंसीव करने में सिर्फ शहर ही नहीं गांवों की महिलाओं को भी दिक्कतें हो रही हैं.
लाइफस्टाइल, तनाव और मोटापे की वजह से डायबिटीज प्रेग्नेंसी में बाधा बन सकती है.
Best Tips to boost fertility: मां बनने का सपना किसका नहीं होता लेकिन कई बार महिलाएं लंबे समय तक कोशिश करने के बाद भी प्रेग्नेंट होने में सफल नहीं हो पाती हैं. लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव के चलते शहरों में ही नहीं गांवों में भी आजकल ऐसे बहुत सारे मामले सामने आ रहे हैं जब बिना किसी खास वजह के भी महिलाएं कंसीव नहीं कर पा रहीं. कई कई साल इंतजार करने के बाद बड़ी संख्या में महिलाएं इलाज के लिए अस्पतालों में भी पहुंच रही हैं. महंगे-महंगे टेस्ट करा रही हैं. दवाएं खा रही हैं. इतने के बावजूद भी उन्हें पता नहीं चल पाता है कि आखिर कमी कहां है? और कंसीव न होने के पीछे क्या वजह है?
बता दें कि कुछ साल पहले मुंबई के एक अस्पताल में की गई रिसर्च के मुताबिक कंसीविंग में आ रही समस्या के चलते एएमएच फर्टिलिटी टेस्ट कराने वाली 30 से 35 साल की महिलाओं में से 54 फीसदी में अंडों की क्वालिटी खराब या बहुत कम संख्या में अंडों के बनने की थी. यह एक कॉमन समस्या है लेकिन सवाल उठता है कि पूअर एग की समस्या क्यों हो रही है? क्या इसके पीछे कोई खास वजह है?
दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा में महिला रोग एवं प्रसूति विभाग में प्रोफेसर कामिनी धीमान बताती हैं कि गर्भवती न होने या गर्भधारण न कर पाने के पीछे कई वजहें होती हैं लेकिन पिछले करीब दो दशक से महिलाओं में एक खास ट्रेंड देखा जा रहा है. तनाव और भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल जीने वाली महिलाओं में कंसीव न होने के पीछे सबसे बड़ी समस्या ब्लड शुगर लेवल की हो सकती है.
कंसीव करने में बाधा है ये चीज…
डॉ. धीमान कहती हैं कि कंसीव करने में अक्सर छुपी रहने वाली डायबिटीज एक बड़ी बाधा है. घरों में रहकर सालों साल प्रेग्नेंट होने की कोशिश करने के बाद भी महिलाएं डायबिटीज चेक नहीं कराती हैं. उन्हें लगता ही नहीं कि ये भी कोई समस्या हो सकती है. प्री डायबिटिक या डायबिटिक होने से पीसीओडी, पीसीओएस जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं. इसके अलावा महिलाओं में एग बनने की प्रक्रिया या तो कमजोर हो जाती है या उनकी क्वालिटी खराब हो जाती है. फर्टिलिटी के लिए डायबिटीज इतना खराब माहौल तैयार कर देती है कि अंडे खराब होने के अलावा पूरी तरह डैमेज भी हो सकते हैं.
50 रुपये की जांच से लगाएं पता
कंसीव करने की कोशिश कर रहीं महिलाओं को अस्पतालों में जाकर हजारों रुपये के टेस्ट कराने से पहले 50-100 रुपये तक में हो जाने वाली शुगर की जांच जरूर करानी चाहिए. हर 6 महीने में डायबिटीज की जांच कराने के बाद अगर सब ठीक है तो फिर कंसीविंग की कोशिश करनी चाहिए. ऐसा करने से गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है और अस्पतालों के चक्कर बचते हैं.
इन चीजों से करें बचाव
डॉ. कामिनी कहती हैं कि कंसीव करने की इच्छुक महिलाएं सबसे पहले लाइफस्टाइल में बदलाव करें, मोटापा है तो उसे कम करें, वजन को नियंत्रित करें. डाइट कंट्रोल करें. ताकि हाई बीपी या हाई ब्लड शुगर जैसी बीमारियों से बचाव किया जा सके. वहीं हर 6 महीने पर शुगर की जांच जरूर कराएं.
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FIRST PUBLISHED : September 23, 2023, 20:52 IST