Is atrial fibrillation a serious problem: अभी तक आपने दिल से जुड़ी बीमारी हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर या कार्डियक अरेस्ट के बारे में ही सुना होगा. कभी आपने सुना है कि दिल की धड़कन से भी जुड़ी कोई बीमारी हो सकती है. यह हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट से एकदम अलग होती है लेकिन इसके कुछ लक्षण इन जैसे भी होते हैं. इतना ही नहीं इसका एक लक्षण इतना सामान्य होता है कि आप पहचान ही नहीं पाएंगे कि आपकी दिल की धड़कन किसी बात से अचानक बढ़ गई है या आपका शरीर आपको इस बीमारी का संकेत दे रहा है.
ऐसी ही ये बीमारी है एट्रियल फिब्रिलेशन. यह हार्ट बीट से जुड़ी बीमारी है जो दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रभावित कर रही है. इसमें व्यक्ति की हार्ट बीट अचानक तेज हो जाती है. इसमें हार्ट अटैक नहीं आता लेकिन स्थिति काफी गंभीर हो सकती है और मरीज को पेसमेकर तक लगाना पड़ सकता है.
एट्रियल फिब्रिलेशन क्या है?
एक सामान्य और हेल्दी हार्ट में इलेक्ट्रिक सिग्नल हार्ट बीट को कंट्रोल करते हैं. ये सिग्नल सिनोट्रियल (एसए) नोड में पैदा होते हैं, जिन्हें अक्सर हार्ट का नेचुरल पेसमेकर कहा जाता है. हालांकि एट्रियल फिब्रिलेशन में ये इलेक्ट्रिक संकेत गड़बड़ हो जाते हैं और एट्रियल यानि हार्ट का ऊपरी भाग सिकुड़ने के बजाय कांपने लगता है.
किन लोगों में होती है ये बीमारी
यह बीमारी हाई बीपी के मरीजों, हार्ट वाल्व रोग से पीड़ित मरीजों, कोरोनरी धमनी रोग से पीड़ितों, 60 साल से ऊपर के लोगों, मोटापे से जूझ रहे लोगों, शराब या कैफीन का इस्तेमाल करने वालों, डायबिटीज या स्लीप एपनिया के मरीजों में होने के चांसेज होते हैं. अगर आपको इनमें से एक भी बीमारी है तो एट्रियल फिब्रिलेशन होना संभव है.
एट्रियल फिब्रिलेशन के लक्षण
. दिल का अचानक तेज धड़कना.
. बहुत ज्यादा थकान
. सांस लेने में दिक्कत
. चक्कर आना या बेहोश होना
. सीने में दर्द या बेचैनी
. बिना किसी लक्षण के भी बीमारी होना.
क्यों खतरनाक है ये बीमारी
इस बीमारी का उचित और जल्दी इलाज जरूरी है क्योंकि स्थिति गंभीर होने पर कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं. एंडी हार्ट बीट दवाओं से आराम न पड़ने पर कई बार कार्डियोवर्जन यानि धड़कन की सामान्य लय बहाल करने के लिए दिल को बिजली का झटका देना पड़ता है. एब्लेशन थेरेपी देनी होती है या पेसमेकर तक लगाना पड़ता है.
कैसे बचाव करें लोग
डॉ. कहते हैं कि हार्ट बीट को कंट्रोल करने और स्ट्रोक के जोखिम को कम करने के लिए दवाएं समय से लें. हार्ट बीट की निगरानी करते रहें. स्वस्थ आहार लें, नमक, ट्रांस फैट और चीनी को सीमित करते हुए फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर संतुलित आहार लें. व्यायाम करें. तनाव न होने दें. खूब पानी पीएं. अल्कोहल या कैफीन के सेवन से बचें.
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FIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 18:34 IST