हाइलाइट्स
लेजर आई सर्जरी के जरिए लोगों का चश्मा हटाने में महज कुछ मिनट का वक्त लगता है.
लेजर आई सर्जरी को सुरक्षित माना जाता है और इसके साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं.
What Does Laser Eye Surgery Do: आज के जमाने में बेहद कम उम्र में लोगों की नजर कमजोर हो रही है. इन दिनों छोटे-छोटे बच्चों को भी चश्मा लगाए हुए देखा जा सकता है. आईसाइट कम होने पर चश्मे का सहारा लिया जाता है. चश्मे की मदद से लोग अपनी जरूरत की चीजों को सही तरीके से देख पाते हैं. लंबे समय तक चश्मा लगाना काफी चैलेंजिंग भी होता है और लोग कई बार चश्मा घर भूल जाते हैं. ऐसे में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार चश्मा टूट जाता है और दिक्कतें पैदा होने लगती हैं. दिनभर चश्मा लगाए रखने से कई लोग परेशान हो जाते हैं और चश्मा से छुटकारा पाना चाहते हैं. इसके लिए वर्तमान समय में कई तकनीक मौजूद हैं. इन तकनीक की मदद से महज कुछ मिनट में चश्मे से छुटकारा पाया जा सकता है. आज आई स्पेशलिस्ट से जानेंगे कि किन तरीकों से चश्मा हटाया जा सकता है और कैसे ये तकनीक विजन को ठीक करती हैं.
नई दिल्ली के सिरी फोर्ट स्थित विजन आई सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. तुषार ग्रोवर के मुताबिक चश्मा हटाने के लिए प्रमुख तौर पर 3 तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है. ये सभी सर्जिकल प्रोसेस होती हैं और मशीनों की सहायता से आंखों का नंबर हटाया जाता है. पहली तकनीक लेसिक (LASIK) है, जिसमें लेजर सर्जरी के जरिए कॉर्निया को पतला किया जाता है. ऐसा करने से लोगों का विजन ठीक हो जाता है और चश्मे का नंबर हट जाता है. दूसरी तकनीक लेंटिक्यूल बेस्ड प्रोसीजर (Lenticule Based Procedure) है. इसमें SMILE, CLEAR जैसी अलग-अलग टेक्निक इस्तेमाल की जाती हैं. इसमें लोगों की कॉर्निया पर लेजर की मदद से लेंटिक्यूल बनाया जाता है और उसे बाहर निकाल दिया जाता है. लेजर आई सर्जरी की तीसरी तकनीक फेकिक आईओएल (Phakic IOL) है. इसमें चश्मा हटाने के लिए लोगों की आंख के अंदर नेचुरल लेंस के ऊपर एक लेंस लगाया जाता है.
लेजर से पहले की जाती है स्क्रीनिंग
डॉ. तुषार ग्रोवर कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति की आई सर्जरी कर चश्मा हटाने से पहले एक स्क्रीनिंग की जाती है. इसमें कॉर्निया की थिकनेस, कॉर्निया की शेप, कॉर्निया की मजबूती, आंखों की ड्राईनेस और रेटिना का टेस्ट होता है. इसमें पता लगाया जाता है कि क्या मरीज की सर्जरी की जा सकती है या नहीं. साथ ही सर्जरी के लिए कौन सी तकनीक इस्तेमाल करना बेहतर रहेगा, यह भी स्क्रीनिंग के बाद ही पता चलता है. स्क्रीनिंग के बाद लोगों की कंडीशन के अनुसार तकनीक इस्तेमाल कर चश्मा हटाया जाता है. चश्मा हटाने की तीनों ही प्रक्रिया में 10 से 20 मिनट का वक्त लगता है. लेजर आई सर्जरी की तीनों ही तकनीक काफी सेफ होती हैं. चश्मा हटाने के बाद साइड इफेक्ट बहुत रेयर होते हैं.
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क्या होती है सर्जरी की सही उम्र?
डॉक्टर के अनुसार लेजर आई सर्जरी करने के लिए लोगों की उम्र कम से कम 18 साल होनी चाहिए. इससे कम उम्र के लोगों की सर्जरी नहीं की जाती, क्योंकि इस उम्र में चश्मे का नंबर बदलता रहता है और स्टेबल नहीं होता है. 18 साल के बाद चश्मे का नंबर स्टेबल हो जाता है और तब सर्जरी की जाती है. अगर अधिकतम उम्र की बात की जाए, तो 45 साल तक के लोग लेजर आई सर्जरी करवा सकते हैं. इससे ज्यादा उम्र के लोगों की सर्जरी आमतौर पर नहीं की जाती है.
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Tags: Eyes, Health, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : October 3, 2023, 12:15 IST