डायबिटीज के लिए रामबाण है ये पौधा, चीनी की जगह करें इस्तेमाल तो मरीज हो जाएगा चंगा!

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मनमोहन सेजू, बाड़मेर. स्टीविया डायबिटीज से पीड़ित मरीजों के लिए किसी रामबाण से कम नहीं है. डायबिटीज मरीज इसे चीनी की जगह इस्तेमाल कर सकते है क्योंकि इसमें कैलोरी ना के बराबर होती है. पश्चिम राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित माता सती दक्षिणायन मंदिर के पुजारी ने 3 साल की मेहनत के बाद स्टीविया के पौधे लगाए हैं. स्टीविया को मीठी तुलसी के नाम से भी जाना जाता है.

रेगिस्तान का जिक्र आते ही जेहन में उभरती है सूखे और रेत के टीलों की तस्वीर, लेकिन कहते हैं न कि जब भगीरथ अपने प्रयासों से जमीन पर गंगा उतार सकते हैं, तो वैसे ही प्रयासों से रेगिस्तान में वह किया जा सकता है जिसकी कल्पना ही नामुमकिन हो. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है बाड़मेर के माँ सती दाक्षायणी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष ने, उन्होंने मंदिर में 400 किस्मों के 4 हजार के करीब पौधे लगाए है जिनमें एक स्टीविया का पौधा. जिन लोगों को चीनी से परहेज करना होता है, उनके लिए मीठी तुलसी यानी स्टीविया का इस्तेमाल कर सकते है. इसकी मदद से न सिर्फ चाय या कॉफी बना सकते हैं, बल्कि इसे नींबू पानी में भी उपयोग में ले सकते है.

मीठी तुलसी स्टीविया
स्टीविया को ‘शुगर प्लांट’ या शुगर फ्री भी कहते हैं. स्थानीय बोलचाल में इसे कई जगह ‘मीठी तुलसी’ भी कहा जाता है. यह चीनी का अच्छा प्राकृतिक विकल्प है. यह एक तुलसी के पौधे की तरह होता है. बताया जाता है कि इसका पौधा शक्कर से 50-100 गुना अधिक मीठा होता है. लेकिन इसमें कार्बोहाइड्रेट, कैलोरी और आर्टिफिशियल इंग्रेडिएंट्स नहीं होते हैं.

मंदिर पुजारी वासुदेव जोशी बताते है कि स्टीविया यानी मीठी तुलसी शक्कर से 50 गुना ज्यादा मीठी होती है. इसका सेवन डायबिटीज वाले मरीज भी कर सकते है. इसकी पत्तियों में क्लोरीन शून्य होती है. वह बताते है कि इसके लिए उन्हें 3 साल की मेहनत करनी पड़ी. पहले अमेजन से ऑनलाइन बीज मंगवाया लेकिन प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण यहां पनप नही पाए. इसके बाद मध्यप्रदेश व बिहार से भी पौधे मंगवाए. फिर सीकर से पौधे मंगवाए और यहां नमी वाले स्थान पर लगाए जो कि आज अच्छे विकसित हो चुके है.

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गौरतलब है कि स्टीविया की उपज दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका और मैक्सिको में होती है, जिसमें से कई प्रजातियां सुदूर उत्तर में अरिज़ोना, न्यू मेक्सिको और टेक्सास तक पाई जाती है. हालांकि बाड़मेर जैसे रेतीले इलाके में इसे उपजाना किसी चुनौती से कम नही है.

Tags: Barmer news, Diabetes, Health tips, Local18, Rajasthan news

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