सस्ते में भी मिल जाती है 16GB रैम, क्या वर्चुअल रैम से फोन हो जाता है सुपरफास्ट या कंपनियां करती हैं गुमराह?

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नई दिल्ली. वर्चुअल रैम का आना आजकल स्मार्टफोन्स में बेहद आम हो गया है. PCs में वर्चुअल रैम सालों से मिल रहा है. लेकिन, अब इस टेक्नोलॉजी को स्मार्टफोन्स ब्रैंड्स अपने प्रोडक्ट्स में दे रहे हैं. खासतौर पर एंट्री लेवल फोन्स में ये फीचर बहुत आम हो गया है. जो ग्राहक फोन खरीदते समय रैम को महत्व देते हैं उनके लिए ये काफी मायने भी रखता है.

10 हजार रुपये के रेंज में ज्यादातर कंपनियां अपने फोन्स में 3GB या 4GB रैम देती हैं. ऐसे में 4GB वर्चुअल रैम देकर कंपनियां अपने फोन्स की मार्केटिंग 8GB प्रभावी रैम के तौर पर करते हैं. यानी लोगों के ये लगता है कि हैंडसेट इस रैम के साथ काफी फास्ट हो जाएगा. लेकिन, सच ये है कि 4GB वर्चुअल रैम ऐड करना 4GB फिजिकल रैम जितना एफिशिएंट नहीं होता. अगर मार्केटिंग की बात की जाए तो ज्यादा से ज्यादा ये रैम बैकग्राउंड में ज्यादा ऐप्स को चलाने के काम आते हैं. लेकिन, फोन के ओवरऑल परफॉर्मेंस पर इसका कम ही असर पड़ता है.

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क्या होता है वर्चुअल रैम?
वर्चुअल रैम को रैमएक्सपांशन रैम या रैम बूस्टिंग भी कहा जाता है. स्मार्टफोन कंपनियां इस रैम को डिवाइस की इंटरनल स्टोरेज को इस्तेमाल कर ऑफर करते हैं. इसके पीछे आइडिया ये है कि फोन की मल्टीटास्किंग कैपेबिलिटीज को एन्हांस करना और सिस्टम के ओवरऑल परफॉर्मेंस को इंप्रूव करना है. हालांकि, वर्चुअल रैम की इफेक्टिवनेस कई बातों पर निर्भर करती है.

आइए पॉइंट्स में समझते हैं:

– ट्रू रैम या (रैंडम एक्सेस मेमोरी) एक फिजिकल मेमोरी है जो डिवाइस द्वारा एक्टिव प्रोसेस के लिए इस्तेमाल किया जाता है. वहीं, वर्चुअल रैम डिवाइस के स्टोरेज के हिस्से को रैम के तौर पर इस्तेमाल करता है.

– वर्चुअल रैम कई कंडीशन में फोन की परफॉर्मेंस के लिए मदद करता है. लेकिन, ये फिजिकल रैम जितना फास्ट नहीं होता है. हाई स्पीड वर्चुअल रैम भी वास्तविक रैम से स्लो होते हैं.

क्या होता है परफॉर्मेंस पर असर?
फोन में वर्चुअल रैम डालने से मल्टीटास्किंग में मदद मिलती है. साथ ही ये एक्सेसिव ऐप रिलोडिंग को भी कम करता है. खासतौर पर ये लिमिटेड फिजिकल रैम वाले डिवाइस में ज्यादा काम आता है. लेकिन, फिर इसका ओवरऑल परफॉर्मेंस पर इंपैक्ट एक्चुअल रैम जितना नहीं होता है. इसका इंपैक्ट डिवाइस स्पेसिफिक भी होता है. साथ ही सभी ऐप को एडिशनल रैम से बेनिफिट भी नहीं होता है. इसका असर फोन की बैटरी पर भी होता है. क्योंकि इसमें स्टोरेज में फ्रिक्वेंट रीड एंड राइट ऑपरेशन्स होते हैं.

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