पोर्न देखने वाले हो जाएं सावधान, सेल्फी अपलोड करने के बाद ही चलेगा वीडियो! बन रहा है नया नियम

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नई दिल्ली. चारों तरफ एआई अथवा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का हल्ला है. चैटजीपीटी के बाद गूगल का बार्ड आया, और अब एलन मस्क ने भी एआई मॉडल तैयार कर लिया है, जो बहुत जल्द लोगों के सामने होगा. इसमें शक नहीं कि एआई पारम्परिक नौकरियां निगल रहा है, मगर इसके कुछ फायदे भी हो रहे हैं या भविष्य में होंगे. दरअसल, ब्रिटेन में इन दिनों एक बड़ी समस्या पैदा हो रही है. समस्या यह है कि बच्चे 18 वर्ष की आयु से पहले ही इंटरनेट पर पोर्न वीडियो देखना शुरू कर रहे हैं. केवल ब्रिटेन ही नहीं, बल्कि और देशों में भी ऐसी ही समस्या हो रही हो सकती है. ब्रिटेन ने इस समस्या को पहचाना और इससे निपटने के लिए एआई की मदद लेने का प्लान बनाया है.

मंगलवार को ब्रिटेन ने ऑनलाइन पोर्नोग्राफी कंटेट को बच्चों की पहुंच से दूर रखने के उद्देश्य से ऐज-चेक गाइडेंस (Age-check guidance) का प्रस्ताव रखा है. इसी प्रस्ताव में एआई तकनीक की मदद से वैध आयु जानने की बात भी कही गई है.

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सरकार द्वारा पास किए गए ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट (Online Safety Act) के तहत उन वेबसाइट्स और ऐप्स को यह सुनिश्चित करना होगा कि बच्चे उनका कंटेंट नहीं देख रहे हैं. बता दें कि ब्रिटेन में पोर्न कंटेंट देखने की वैध आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है.

हाल ही में चिल्ड्रनज़ कमिश्नर फॉर इंग्लैंड के ऑफिस की तरफ से जारी एक स्टडी में 2021-2022 के आंकड़े जारी किए गए थे. इन आंकड़ों के हिसाब से औसतन बच्चे पहली बार ऑनलाइन पोर्नोग्राफी 13 साल की उम्र में देखते हैं, जबकि लगभग एक-चौथाई 11 साल की उम्र में देखते हैं, और 10 में से एक तो 9 साल की उम्र में देख लेता है.

मीडिया रेगुलटेर ऑफकॉम के सीईओ मेलानी डावेस ने इस पर कहा कि वे हर हाल में बच्चों को पोर्नोग्राफी कंटेंट से दूर रखना चाहते हैं, और साथ ही यह भी चाहते हैं कि एडल्ट्स के अधिकारों और स्वतंत्रता से भी कोई समझौत न हो.

आयु जानने में कैसे मदद करेगा AI?
AI के जरिये सही उम्र की पहचान करना प्रस्ताव का हिस्सा है और लागू नहीं हुआ है. इसके अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस चेहरा पढ़कर यह पहचान सकता है कि देखने वाले की उम्र क्या है. हो सकता है कि ऐसा कंटेंट देखने वाले को अपने डिवाइस से अपनी सेल्फी क्लिक करके अपलोड करे, और सेल्फी को एनालाइज करके AI उम्र का पता लगाए.

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केवल यही नहीं, प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि फोटो पहचान पत्र मैच होने के बाद ही कंटेंट एक्सेस करने को मिले. फोटो पहचान पत्र में पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस हो सकता है. इसके अतिरिक्त खुद को 18 साल से अधिक आयु का साबित करने के लिए यूजर अपने बैंक शेयरिंग इन्फॉर्मेशन भी दे सकते हैं.

इस प्रस्ताव का विरोध भी
एक फ्री-मार्केट थिंक टैंक, द इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनमिक अफेयर्स ने कहा कि अनिवार्य आयु सत्यापन से यूजर की गोपनीयता को खतरा है और थर्ड पार्टी द्वारा स्टोर किए गए संवेदनशील डेटा की मात्रा में वृद्धि से यूजर्स के डेटा पर भी खतरा मंडराएगा.

रेगुलेटरी ने कहा कि अभी तक आयु सत्यापन के जो भी पुराने तरीके चलन में हैं, वह ज्यादा लम्बे समय तक नहीं चलेंगे, जिसमें कि डिस्क्लेमर और वार्निंग इत्यादी शामिल हैं. नई गाइडलाइन्स को 2025 की शुरुआत में अंतिम रूप दिया जा सकता है.

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