7-10 साल के बच्‍चों में 360% बढ़ा सेक्‍सुअल इमेजिनेशन, चाइल्‍ड एब्‍यूज के बढ़े केस, चौंका रही रिपोर्ट

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Child Sexual Abuse in India: अगर आप भी बच्‍चों को स्‍मार्टफोन देकर छोड़ देते हैं और पलटकर भी नहीं देखते तो ये खतरनाक हो सकता है. आपको पता भी नहीं चलेगा कि आपका बच्‍चा कब सामान्‍य चीजों को देखते-देखते शोषण का शिकार हो गया है. हाल ही में आई ग्लोबल थ्रेट असेसमेंट 2023 की रिपोर्ट के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार बच्‍चों के ऑनलाइन शोषण में बेतहाशा बढ़ोत्‍तरी देखी जा रही है. इंटरनेट पर बाल शोषण की सामग्री में 87 फीसदी बढ़ोतरी देखी गई है.

वीप्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस ने अपनी चौथी ग्लोबल थ्रेट असेसमेंट रिपोर्ट रिपोर्ट जारी की है, जिसमें पता चला है कि 2019 के बाद से रिपोर्ट की गई बाल यौन शोषण सामग्री में 87 फीसदी की वृद्धि हुई है और वैश्विक स्तर पर 3.2 करोड़ से ज्‍यादा बाल शोषण के मामले रिपोर्ट किए गए हैं. इसके निष्कर्ष दुनिया भर में बच्चों को इस बढ़ते खतरे से बचाने के लिए एक बहुआयामी रेस्‍पॉन्‍स की जरूरत है.

एआई बन रहा दुश्‍मन
वीप्रोटेक्‍ट ग्‍लोबल अलायंस की रिपोर्ट कहती है कि बच्‍चों के शोषण के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जमकर इस्‍तेमाल हो रहा है. 2023 की शुरुआत से, अपराधियों द्वारा बाल यौन शोषण सामग्री बनाने और बच्चों का शोषण करने के लिए जेनेरेटिव एआई के उपयोग के मामले भी बढ़ रहे हैं.

बच्‍चों में बढ़ रहा सेक्‍सुअल इमेजिनेशन
यह रिपोर्ट 2023 में बच्चों के लिए ऑनलाइन सामने आने वाले खतरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है. इसमें यह भी पाया गया है कि 2020 से 2022 (इंटरनेट वॉच फाउंडेशन) तक 7-10 साल के बच्चों की स्व-निर्मित सेक्‍सुअल इमेजिनेशन में 360 फीसदी की वृद्धि हुई है.

बस 19 सेकेंड में हो जाती है ग्रूमिंग
रिपोर्ट में चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई कि सोशल गेमिंग प्लेटफॉर्म पर बच्चों के साथ बातचीत 19 सेकंड के भीतर हाई रिस्‍क वाली ग्रूमिंग स्थितियों में बदल सकती है, जबकि ग्रूमिंग का औसत समय केवल 45 मिनट है. सोशल गेमिंग माहौल काफी खतरनाक हो रहा है.

बच्‍चों से हो रही वसूली
इस शोध में वित्‍तीय सेक्‍सुअल हेरेसमेंट में वृद्धि देखी गई है. 2021 में जहां बच्चों से वसूली के 139 मामले सामने आये थे, वहीं 2022 में बढ़कर 10,000 से अधिक हो गए. ऐसी घटनाओं में अपराधियों का अपनी सेक्‍सुअल तस्वीरें और वीडियो साझा करने के लिए बच्चों को तैयार करना, हेराफेरी करना और फिर पैसे कमाने के लिए उनसे जबरन वसूली करना शामिल है. जबरन वसूली करने वाले लोग युवा लड़कियों के रूप में ऑनलाइन पेश होते हैं और मुख्य रूप से सोशल मीडिया के माध्यम से 15-17 वर्ष की आयु के लड़कों से संपर्क करते हैं. कई मामलों में ऐसी घटनाओं के कारण बच्चों ने दुखद रूप से अपनी जान ले ली.

चिंताजनक हैं आंकड़े 

डॉ. मंजीर मुखर्जी, वरिष्ठ निदेशक, अर्पण टुवर्ड्स फ्रीडम फ्रॉम सेक्सुअल एब्यूज कहती हैं कि ग्लोबल थ्रेट असेसमेंट 2023 रिपोर्ट में डिसरप्टिंग हार्म अध्ययन के मुताबिक, ऑनलाइन दुर्व्यवहार के 60 फीसदी मामलों में, अपराधी के और बच्चे के परिचित होने की संभावना देखी गई. यह चौंका देने वाला तथ्य इस मिथक को तोड़ता है कि ऑनलाइन यौन शोषण, मुख्य रूप से अजनबियों द्वारा किया जाता है. इसलिए पेरेंट्स जान-पहचान वाले लोगों द्वारा ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह के दुर्व्यवहार पर गौर करें क्योंकि अक्सर ये दोनों तरीके अलग-अलग नहीं होते, बल्कि दोनों तरह के सामाजिक स्तरों में निरंतरता से होते हैं.

वहीं वीप्रोटेक्ट ग्लोबल अलायंस के कार्यकारी निदेशक इयान ड्रेनन ने कहा कि हमें दुनिया भर में ऑनलाइन होने वाले बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार पर ध्यान देने और इन पर पहल करने की ज़रूरत है. बच्चों को परेशानी से बचाने के लिए, सरकारों, ऑनलाइन सेवा प्रदाताओं, चैरिटी और कंपनियों को अपनी कोशिश बढ़ानी चाहिए और बदलाव लाने तथा बच्चों की सुरक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए.

Tags: Child sexual abuse, Child sexual harassment, Children

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