DRDO करने वाला था ओडिशा में मिसाइल टेस्ट, लेकिन कछुओं ने नाकाम कर दिया मिशन! क्या थी वजह

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भुवनेश्वर. रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ), अगले साल जनवरी से मार्च तक ओलिव रिडले समुद्री कछुओं के बड़े पैमाने पर घोंसले बनाने के मौसम के दौरान ओडिशा तट के पास व्हीलर द्वीप पर मिसाइल परीक्षण रोक देगी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लुप्तप्राय प्रजाति जीवित रहने की दौड़ में जीत हासिल कर सके. मिसाइल टेस्टिंग, मशीनीकृत नावें और लोगों की आवाजाही से द्वीप पर समुद्री कछुओं के बड़े पैमाने पर घोंसले बनाने और उनके प्रजनन पर प्रतिकूल असर पड़ता है.

इस वर्ष लगभग पांच लाख ओलिव रिडलिस ने वहां घोंसला बनाया है. ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ में प्रकाशित खबर के मुताबिक, मछुआरों और मछली पकड़ने वाली नौकाओं को खाड़ी और मुहाने के पास रेत की उन संकीर्ण पट्टियों के करीब जाने से रोकने के लिए सेना और कोस्ट गार्ड तट पर गश्त करेंगे जहां कछुए अपने अंडे देते हैं.

मिसाइल परीक्षणों से निकलने वाली तेज़ रोशनी, तेज़ आवाज़ें कछुओं को प्रभावित करती हैं. जनवरी से मार्च तक ओलिव रिडले प्रजाति के घोंसले बनाने के मौसम के दौरान ओडिशा तट के व्हीलर द्वीप पर मिसाइल परीक्षण रोकने के निर्णय और लुप्तप्राय समुद्री कछुओं को बचाने के लिए अन्य उपायों की घोषणा शुक्रवार को ओडिशा के मुख्य सचिव पीके जेना की अध्यक्षता वाली एक समिति ने की.

छोटे कछुओं का भोजन और उनके तेल के लिए शिकार किया जाता है. रेत पर बिना फूटे अंडे और छिलके का इस्तेमाल उर्वरक के रूप में किया जाता है. प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) सुसांता नंदा ने कहा, “कछुओं का घोंसला बनाने का स्थान व्हीलर द्वीप के करीब है. चूंकि मिसाइल परीक्षण में तेज रोशनी की चमक और तेज आवाज शामिल होती है, इसलिए कछुए विचलित हो जाते हैं.”

Tags: DRDO, Missile, Odisha

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