नई दिल्ली. जब भी हम कैंसर शब्द सुनते हैं, तो हमारे दिलों में डर बैठ जाता है. यह पिछले एक दशक से मौत के शीर्ष 5 कारणों में से एक बना हुआ है. रेगुलर स्क्रीनिंग के माध्यम से कैंसर के अर्ली डिटेक्शन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित फेडरल बैंक, न्यूज18 नेटवर्क और टाटा ट्रस्ट ने एक पहल की है, जिसका नाम ‘संजीवनी: यूनाइटेड अगेंस्ट कैंसर’ है. 27 सितंबर को इसकी शुरुआत होगी. भारतीयों में कैंसर का जल्दी पता लगने में देरी के पीछे डर प्रमुख कारण है. इसे ध्यान में रखते हुए, संजीवनी का लक्ष्य लोगों को नियमित कैंसर जांच के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि वो समय रहते अपने व्यवहार में बदलाव ला सकें. ऐसा होने से समय पर कैंसर का पता चल सकेगा और रोगी की जान बचने की संभावना भी बढ़ जाएगी.
हाल के वर्षों में, भारत में कैंसर के मामलों में तीव्र वृद्धि देखी गई है, जिसका कारण यह है कि लगभग 70 प्रतिशत कैंसर के मामलों का पता बहुत देर से चलता है. यह विकसित देशों के बिल्कुल विपरीत है, जहां कैंसर से मृत्यु दर 30 प्रतिशत से कम है. भारत में 70 प्रतिशत मामलों का देर से पता चलता है (और इसलिए मृत्यु दर अधिक है). पश्चिम में, देर से पता चलने की यह संख्या केवल 30 प्रतिशत है, इसलिए परीक्षण के प्रति जागरुकता और व्यवहार परिवर्तन जरूरी है.
भारत में किस प्रकार के कैंसर के ज्यादा मामले?
स्तन कैंसर, मुंह का कैंसर और सरवाइकल कैंसर भारत में आमतौर पर सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं. 45 से 50 प्रतिशत मामले भारत में इसी से जुड़े हैं. ये 3 कैंसर ही ऐसे हैं, जिनका पता स्क्रीनिंग से लगाया जा सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, प्रारंभिक कैंसर निदान से जीवन बचता है और उपचार लागत में कटौती होती है. एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि भारत में वर्ष 2025-26 तक कैंसर के मामले बढ़कर 20 लाख हो जाएंगे. यह बढ़ती जागरुकता पैदा करके और बीमारी के बारे में भय को दूर करके जल्दी पता लगाने की तत्काल आवश्यकता को दर्शाता है.
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स्क्रीनिंग VS टेस्टिंग
स्क्रीनिंग स्टेज-1 की प्रक्रिया है, जिसे अक्सर नो नेगेटिव चेक कहा जाता है. संजीवनी का मूल संदेश यह है कि कोई लक्षण न होने पर भी नियमित रूप से स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए. स्क्रीनिंग के जरिए ब्रेस्ट, सरवाइकल और मुंह के कैंसर का पता लगाया जा सकता है. टेस्टिंग चरण-2 की प्रक्रिया है. यह तब किया जाता है, जब लक्षण दिखाई देने लगते हैं. कई मामलों में, लक्षण बाद के चरण में दिखाई दे सकते हैं और इसलिए रोगी के ठीक होने की संभावना काफी कम हो जाती है. हमारा फोकस शुरुआत में ही इसका पता लगाकर रोकथाम के लिए कदम उठाने की है. यह स्क्रीनिंग और लाइफ स्टाइल में बदलाव के माध्मय से हो सकता है.
कैंसर के मामलों में कैसे आ सकती है कमी?
नियमित स्क्रीनिंग,
तंबाकू के सेवन पर नियमंत्रण,
वजन पर नियंत्रण,
शराब के सेवन पर नियंत्रण.
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Tags: Cancer, Health News, Sanjeevani, Sanjeevani Campaign
FIRST PUBLISHED : September 25, 2023, 22:31 IST