विशाल झा/गाजियाबाद: सर्दी और प्रदूषण की दोहरी मार से एनसीआर वासी जूझ रहे हैं. गाजियाबाद के अस्पतालों में पिछले 1 महीने में 13% सांस के मरीजों की भर्ती में बढ़ोतरी हुई है. इनमें से ज्यादातर मरीज बच्चे हैं. दरअसल, बाहर खेलना हो या फिर सुबह स्कूल जाना. इससे बच्चों को स्मॉग का काफी अच्छा एक्स्पोज़र मिल रहा है. बच्चों का शिकार हो रहे हैं. आखिर स्मॉग और फॉग में क्या अंतर होता है और ये स्वास्थ्य के लिए कितने खतरनाक होते हैं आज हम इसी के बार में बात करेंगे.
ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने बताया कि जो स्मॉग होता है. वो एयर में खराब पार्टिकल से मिलकर बनता है. ठंड के कारण स्मोग की एक मोटी लेयर बन जाती है, जो आखों से विजिबल होती है. स्मॉग में So2, कार्बन डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे पार्टिकल होते हैं. डॉ त्यागी बताते हैं कि अगर हम स्मॉग से गुजरेंगे तो उसमें कोई नमी नहीं होती, ना ठंडापन लगता है.
ये है स्मॉग और फॉग का अतंर
स्मॉग रहने के बाद हमें सास लेने में परेशानी, बेचैनी और आंखो में जलन होती है. वहीं फॉग में हमें गिलापन लगता है. फॉग हवा में मौजूद वॉटर की ड्रॉपलेट होती हैं, इसलिए उसमें आप खुलकर सांस ले पाते हैं. इसका सीधा और बड़ा अंतर यही है कि जब आप सांस लेने में कंफर्टेबल महसूस करते है तो वो फॉग है और जब आप सांस ठीक से नहीं ले पाते तो वो स्मॉग है.
फॉग और स्मॉग से किसको खतरा
फॉग में नुकसान सिर्फ उन लोगों को होता है, जिनको हृदय संबंधित बीमारी है. लेकिन जो स्मॉग है वो ऑक्सीजन के जरिए फेफड़े में जाती है और पूरे शरीर को उसका खामियाजा उठाना पड़ता है. हमारे शरीर के सारे ऑर्गन ऑक्सीजन पर निर्भर करते हैं. ऐसे में ऑक्सीजन ठीक से नहीं मिलने पर कई बड़ी बीमारी और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए गीला मास्क पहनना जरुरी होता है. जो फ्रेश एयर फिल्टर कर सके. अमूमन हवा में 17 % प्रतिशत ऑक्सीजन रहती है. लेकिन स्मॉग एयर में सिर्फ 7 % ऑक्सीजन देखने को मिलती है.
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2023, 15:32 IST