नरेश पारीक/ चूरू: समय के साथ बहुत कुछ बदला है. हमारे खान पान से लेकर हमारी दिनचर्या तक बदली है. वर्तमान समय मे मिलेट्स को राष्ट्रीय स्तर पर प्रमोट किया जा रहा .यहां तक कि पीएम मोदी तक मिलेट्स का प्रमोशन कर चुके हैं, ऐसे में बात अगर मोटे अनाज की हो तो राजस्थान में होने वाले बाज़रे की चर्चा जरूर होगी. तपते धोरों में कम पानी में भी उगने वाली इस खेती को सबसे प्राथमिकता से किया जाता है. क्योंकि यह शरीर के बहुत फायदेमंद है.
सहायक निदेशक कृषि मोहनलाल दादरवाल जिसकी एक नहीं अनेकों वजह बताते हुए कहते हैं कि यह मौसम की विषम परिस्थितियों में कम खर्च और कम पानी मे होने वाली फसल है. दादरवाल बताते हैं कि वर्तमान में 42 लाख 57 हजार हैक्टेयर में राजस्थान में बाज़रे की बुवाई की जा रही है, इसमें करीब 5% बुवाई चूरू कर रहा है. दो लाख 10 हजार हैक्टेयर में. दादरवाल बताते हैं की बाजरा ताकतवर अनाज है जिसमे कैल्शियम और फैट अधिक होता है और यह एलर्जिक नहीं होता यानी कि अगर आप महंगे देशी घी का सेवन नहीं कर सकते तो आप बाज़रे का सेवन कर घी के फ़ायदे ले सकते हो.
दादरवाल बताते हैं कि बाज़रे में उपस्थित फाइबर की मात्रा इंसान के पाचन तंत्र को दुरस्त रखती है. इसमें आयरन और कैल्सियम की मात्रा भी भरपूर पायी जाती है. जिन लोगों को दूध अपच की शिकायत रहती है, उन लोगों के लिए मोटे अनाज कैल्सियम पूर्ति में सहायक हो सकते हैं. जिनको ग्लूटन एलर्जी होती है, उन्हें चिकित्सक मोटे अनाज के सेवन की सलाह देते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 24, 2023, 10:29 IST